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चीन की खुफिया एजेंसी: एक अनदेखा खतरा

चीन की खुफिया एजेंसी, मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS), अब दुनिया की सबसे बड़ी और सक्रिय जासूसी एजेंसी बन चुकी है। इसकी गतिविधियों ने भारत में सुरक्षा नीतियों में बदलाव को प्रेरित किया है। जानें कैसे यह एजेंसी न केवल राज्य के रहस्यों को निशाना बना रही है, बल्कि अपने नागरिकों पर भी नजर रख रही है। इस लेख में हम MSS की कार्यप्रणाली और भारत की नई सुरक्षा नीतियों पर चर्चा करेंगे।
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चीन की खुफिया एजेंसी: एक अनदेखा खतरा

चीन की खुफिया एजेंसी का परिचय

जब भी दुनिया की खुफिया सेवाओं का जिक्र होता है, तो अमेरिका की सीआईए, भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और इजरायल की मोसाद का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वहीं, सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी अब रूस की एफएसबी बन चुकी है। लेकिन जब चीन की खुफिया एजेंसी की बात आती है, तो लोग अक्सर सोच में पड़ जाते हैं। शायद बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होगा कि चीन की खुफिया एजेंसी का नाम क्या है। दरअसल, चीन की खुफिया एजेंसी के बारे में चर्चा कम होती है, और यही कारण है कि यह एजेंसी बेहद खतरनाक बन गई है। हाल ही में भारत सरकार द्वारा सीसीटीवी कैमरों से संबंधित एक आदेश जारी किया गया है, जिसने चीन की खुफिया गतिविधियों को उजागर किया है।


चीन की मुख्य जासूसी एजेंसी

चीन की प्रमुख जासूसी एजेंसी, मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS), अब दुनिया की सबसे बड़ी और सक्रिय जासूसी एजेंसी बन चुकी है। इसकी स्थापना 1983 में हुई थी। यह पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सुरक्षा सेवा है, जो विदेशी खुफिया जानकारी, प्रति-खुफिया और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की राजनीतिक सुरक्षा की रक्षा के लिए जिम्मेदार है।


एमएसएस की कार्यप्रणाली

सीबीएस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की खुफिया एजेंसी ने अपने ऑपरेशनों को पारंपरिक जासूसी से कहीं आगे बढ़ा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह एजेंसी न केवल राज्य के रहस्यों को निशाना बना रही है, बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के आलोचकों को चुप कराने, कथात्मक रूप देने और तकनीक चुराने का भी कार्य कर रही है। इसके अलावा, यह एजेंसी अपने एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, व्यवसाय और स्थानीय सरकारों से लोगों की भर्ती कर रही है।


चीन की खुफिया एजेंसी का लक्ष्य

पूर्व अमेरिकी राजनयिक जिम लुईस के अनुसार, जो चीनी खुफिया जानकारी का मुकाबला करने में 30 वर्षों का अनुभव रखते हैं, चीनी खुफिया एजेंसी का सबसे बड़ा लक्ष्य विदेशी सरकारें नहीं, बल्कि विदेश में रहने वाले अपने नागरिक हैं। ये नागरिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन के लिए एक संवेदनशील चुनौती का प्रतिनिधित्व करते हैं।


भारत की नई सुरक्षा नीति

चीन की कंपनियां भी भारत में जासूसी कर रही हैं। चीनी गैजेट्स भारतीयों की पसंद और व्यवहार पर नजर रखते हैं। इसके चलते भारत सरकार ने इंटरनेट आधारित सीसीटीवी कैमरों के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब सीसीटीवी कैमरा निर्माताओं को अपने हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सोर्स कोड को सरकारी लैब में परीक्षण के लिए जमा करना होगा।