चीन की नाराज़गी: दलाई लामा के जन्मदिन पर भारत की शुभकामनाएं

चीन की प्रतिक्रिया
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों द्वारा दी गई शुभकामनाओं और समारोह में भागीदारी ने चीन को भड़का दिया है। बीजिंग ने भारत को तिब्बत से जुड़े मामलों में सावधानी बरतने की सलाह दी है, इसे अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप मानते हुए नाराज़गी व्यक्त की है।
चीन का आधिकारिक बयान
सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से बातचीत में कहा कि तिब्बत के मामले में चीन की स्थिति स्पष्ट और स्थायी है। उन्होंने दलाई लामा को "राजनीतिक निर्वासित" करार देते हुए उन पर आरोप लगाया कि वे धर्म के नाम पर तिब्बत को चीन से अलग करने का प्रयास कर रहे हैं। माओ ने भारत से तिब्बत से जुड़े मुद्दों की संवेदनशीलता को समझने और चीन से किए गए वादों का सम्मान करने की अपील की।
भारत पर हस्तक्षेप का आरोप
माओ निंग ने आगे कहा कि भारत दलाई लामा के नाम पर चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है, जो कि स्वीकार्य नहीं है। इसके साथ ही, चीनी दूतावास ने दलाई लामा द्वारा पुनर्जन्म की परंपरा को जारी रखने की घोषणा पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। चीन का कहना है कि दलाई लामा के पास यह तय करने का अधिकार नहीं है कि यह संस्था जारी रहेगी या नहीं।
भारत के नेताओं की उपस्थिति पर नाराज़गी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं और उन्हें प्रेम, करुणा और नैतिक अनुशासन का प्रतीक बताया। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, राजीव रंजन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और सिक्किम के मंत्री सोनम लामा भी धर्मशाला में उनके जन्मदिन समारोह में शामिल हुए थे।
चीन की चेतावनी
पिछले शुक्रवार को चीन ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रिजिजू के बयान पर भी आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के अवतार का निर्णय उन्हीं की इच्छा से होना चाहिए। चीन ने भारत से तिब्बत से जुड़े मामलों में सतर्कता बरतने की अपील की थी ताकि द्विपक्षीय रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
दलाई लामा का पुनर्जन्म पर बयान
बीते बुधवार को दलाई लामा ने स्पष्ट किया था कि उनकी संस्था आगे भी जारी रहेगी और भविष्य में उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार केवल गदेन फोद्रांग ट्रस्ट के पास होगा। यह बयान भी चीन के लिए असहज करने वाला रहा, क्योंकि वह तिब्बत पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर प्रभाव डालने की कोशिश करता रहा है।