चोर पंचक: जानें इसके महत्व और इससे बचने के उपाय
धन हानि से बचने के लिए करें सावधानी
Chor PanchaK, नई दिल्ली: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की सफलता के लिए शुभ और अशुभ समय का ध्यान रखना आवश्यक होता है। इस शुभ समय का निर्धारण पंचांग के पांच अंगों - तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण - के माध्यम से किया जाता है।
पंचांग में एक विशेष समय होता है जिसे पंचक कहा जाता है, और इसे ज्योतिष में अत्यंत अशुभ माना जाता है। अक्टूबर के अंत में, 31 अक्टूबर 2025 को चोर पंचक का आरंभ होगा, जो 4 नवंबर 2025 को समाप्त होगा। आइए जानते हैं कि ज्योतिष में चोर पंचक को इतना अशुभ क्यों माना जाता है और इस दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए।
पंचक क्या है और इसके अशुभ होने का कारण
ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र में गोचर करता है, तो इसे पंचक कहा जाता है। चंद्रमा को इन नक्षत्रों में गोचर करने में लगभग 5 दिन लगते हैं, इसलिए इस अवधि को पंचक काल कहा जाता है। मान्यता है कि इस समय में विशेष कार्य करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
चोर पंचक के प्रकार और इसका महत्व
- रोग पंचक: रविवार को शुरू होता है।
- राज पंचक: सोमवार को शुरू होता है।
- अग्नि पंचक: मंगलवार को शुरू होता है।
- चोर पंचक: शुक्रवार को शुरू होता है।
- मृत्यु पंचक: शनिवार को शुरू होता है।
चोर पंचक को ज्योतिष में अन्य पंचकों की तुलना में अधिक अशुभ माना जाता है।
चोर पंचक के दौरान क्या करें और क्या न करें
चोर पंचक के दौरान किए गए कार्यों में धन हानि, चोरी, और व्यापार में नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। इस समय आर्थिक रूप से सतर्क रहना आवश्यक है।
चोर पंचक में न करें ये कार्य
- दक्षिण दिशा की यात्रा: इस दिशा की यात्रा करना वर्जित है, क्योंकि यह यम और पितरों की दिशा मानी जाती है।
- व्यापार और बड़े सौदे: नए व्यापार की शुरुआत न करें और बड़े वित्तीय निवेश से बचें।
- लकड़ी या ज्वलनशील वस्तुएं एकत्र करना: इस दौरान ज्वलनशील वस्तुओं का संग्रह करना अशुभ माना जाता है।
- घर की छत या चारपाई का निर्माण: इस समय घर की छत ढलवाना या चारपाई बनवाना भी अशुभ है।
- शुभ कार्य: विवाह, सगाई, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य न करें।
