छत्तीसगढ़ में कुत्ते के लिए बना अनोखा मंदिर: श्रद्धा और सेवा का प्रतीक
कुकुरछब्बा मंदिर: एक अद्वितीय आस्था का केंद्र
भारत में धार्मिक आस्थाओं से जुड़े मंदिरों की भरपूरता है, जहां विभिन्न देवताओं की पूजा होती है। लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भानपुर गांव में एक ऐसा मंदिर है, जो कुत्ते की श्रद्धा और सेवा को समर्पित है। इसे 'कुकुरछब्बा मंदिर' के नाम से जाना जाता है, जहां कुत्ते की मूर्ति को न केवल पूजा जाता है, बल्कि इसे विशेष सम्मान भी दिया जाता है।यह मंदिर ग्रामीणों के लिए आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारियों के इलाज की एक प्राचीन मान्यता भी है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति यहां पूजा करता है और मूर्ति के चबूतरे की मिट्टी लेता है, तो वह रेबीज जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रह सकता है।
कुत्ते की पूजा की यह परंपरा केवल स्थानीय नहीं है, बल्कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और ओडिशा से भी श्रद्धालु यहां आते हैं।
मंदिर की देखरेख करने वाले तिकरम बताते हैं कि यह मंदिर 16वीं या 17वीं सदी की लोककथा से जुड़ा है। एक समय भानपुर गांव में एक व्यक्ति अपने वफादार कुत्ते के साथ आया। जब गांव में अकाल पड़ा, तो उसने मजबूरी में अपने कुत्ते को एक साहूकार के पास गिरवी रख दिया।
कुछ समय बाद साहूकार के घर चोरी हो गई, और कुत्ता चोरी के सामान को तालाब के पास छिपाने में मदद करता रहा। साहूकार ने कुत्ते को उसके मालिक के पास वापस भेजा, लेकिन मालिक ने उसे भगोड़ा समझकर मार डाला। पश्चाताप में उसने कुत्ते की समाधि पर एक चबूतरा बनवाया, जो बाद में श्रद्धा का प्रतीक बन गया।
समय के साथ, इस चबूतरे को मंदिर का रूप दिया गया और आज यहां कुत्ते की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है। स्थानीय निवासी ईश्वर साहू के अनुसार, लाखों लोग यहां आकर मन्नतें मांग चुके हैं और कई लोग कुत्ते के काटने से ठीक होकर लौटे हैं।