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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, दो प्रमुख नेता ढेर

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, जिसमें दो प्रमुख नक्सली नेता, कोसा और राजू, मारे गए हैं। यह कार्रवाई नक्सल नेटवर्क की रणनीतिक क्षमता को कमजोर करने में मदद करेगी। पिछले एक साल में नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी आई है, और सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद के सफाए का लक्ष्य रखा है। बीजापुर जिले में निर्णायक लड़ाई की संभावना है, जहां स्थानीय विकास से नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में मदद मिल रही है।
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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, दो प्रमुख नेता ढेर

नक्सल विरोधी अभियान में महत्वपूर्ण सफलता

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ में चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों को एक बड़ी सफलता मिली है। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में नक्सलियों के दो प्रमुख नेता, कोसा और राजू उर्फ विकल्प, मारे गए हैं। ये दोनों लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की वांछित सूची में थे। कोसा, जो नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था, पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था, जबकि राजू उर्फ विकल्प पर 70 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।


सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा बलों को इलाके में नक्सलियों की गतिविधियों की सूचना मिली थी, जिसके बाद एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। इस दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की, जिसके जवाब में मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में कोसा और राजू उर्फ विकल्प को मार गिराया गया। घटनास्थल से एके-47 राइफल, विस्फोटक और अन्य नक्सली सामग्री बरामद की गई है। एसपी डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि यह कार्रवाई नक्सली संगठन के लिए एक बड़ा झटका है। कोसा कई महत्वपूर्ण वारदातों का मास्टरमाइंड रहा है और राजू उर्फ विकल्प भी संगठन का एक प्रमुख चेहरा था।


नक्सल विरोधी अभियान की गति में वृद्धि

इन दोनों की मौत से नक्सल नेटवर्क की रणनीतिक क्षमता को कमजोर करने में मदद मिलेगी। सुरक्षा बलों का कहना है कि पिछले एक साल में नक्सल विरोधी अभियान में तेजी आई है। अब तक 36 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, 496 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, 193 नक्सली मारे गए हैं और लगभग 900 को गिरफ्तार किया गया है। इससे नक्सली संगठन का ढांचा कमजोर हुआ है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद के सफाए का लक्ष्य रखा है, और अब इस लक्ष्य तक केवल सात महीने बचे हैं।


निर्णायक लड़ाई बीजापुर में

बीजापुर जिला वर्तमान में सबसे अधिक माओवादी प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि निर्णायक लड़ाई बीजापुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में होगी। स्थानीय स्तर पर सड़क, पुल, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं की पहुंच बढ़ने से नक्सलवाद पर अंकुश लग रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नक्सलवाद की ताबूत पर अंतिम कील बीजापुर में ही ठोकी जाएगी। नारायणपुर में की गई यह कार्रवाई उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।