छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भूपेश बघेल और उनके बेटे को SC का निर्देश, हाई कोर्ट में करें याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को निर्देश दिया कि वे मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में राहत के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का रुख करें। यह मामला एक बड़े शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है।
नई याचिका दायर करने की सलाह
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ज्योमलय बागची की पीठ ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि वे इस मामले को शीघ्रता से निपटाएं। भूपेश और चैतन्य बघेल ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, जिसमें ED (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) को जांच और गिरफ्तारी के अधिकार दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनौती के लिए नई याचिका दायर करने का आदेश दिया है, जिसे 6 अगस्त को सुना जाएगा।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी
ED ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को गिरफ्तार किया था और उन्हें 22 जुलाई को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। चैतन्य ने सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की, लेकिन कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया।
शराब घोटाले का विवरण
भूपेश और चैतन्य बघेल पर छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में गंभीर आरोप हैं। ED ने चैतन्य को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है, जिसमें राज्य को 2,161 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। यह अवैध सिंडिकेट छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के माध्यम से संचालित हो रहा था।
लाइसेंस का दुरुपयोग
सरकारी शराब की दुकानों के माध्यम से अवैध बिक्री, विदेशी शराब के व्यापार के लिए FL-10A लाइसेंस का दुरुपयोग, और बाजार में गठजोड़ जैसी गतिविधियां इस घोटाले का हिस्सा थीं, जिससे बड़ी मात्रा में अपराध से अर्जित धन को धोया गया।
प्रमुख हस्तियों का नाम
ED ने इस मामले में कई प्रमुख व्यक्तियों के नाम भी लिए हैं, जिनमें अनवर ढेबर और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अनिल तुतेजा शामिल हैं। पूर्व Excise मंत्री कवासी लखमा पर भी आरोप हैं कि वे नियमित रूप से कमीशन लेते थे। अब तक इस मामले में लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की जा चुकी हैं।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी ने इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए इसे "राजनीतिक प्रतिशोध की निंदनीय कार्रवाई" बताया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष के नेताओं को निशाना बना रही है ताकि छत्तीसगढ़ के आगामी चुनावों को प्रभावित किया जा सके।
राजनीतिक तनाव और चुनावों पर प्रभाव
जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है और छापेमारी की संभावनाएं बढ़ रही हैं, यह मामला राज्य के राजनीतिक माहौल में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। आगामी चुनावों से पहले इस मामले के कारण राजनीतिक तापमान काफी बढ़ गया है।