Newzfatafatlogo

छिंदवाड़ा कफ सिरप मामले में 10 बच्चों की मौत, डॉक्टर गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप पीने से 10 बच्चों की मौत हो गई है, जिससे पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने दूषित सिरप दिया। प्रारंभिक जांच में सिरप में खतरनाक डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की उच्च मात्रा पाई गई है। राज्य सरकार ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है। इस घटना ने दवा उद्योग में लापरवाही के गंभीर सवाल उठाए हैं।
 | 
छिंदवाड़ा कफ सिरप मामले में 10 बच्चों की मौत, डॉक्टर गिरफ्तार

छिंदवाड़ा कफ सिरप मामला

छिंदवाड़ा कफ सिरप मामला: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीली कफ सिरप के सेवन से 10 बच्चों की मौत ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। इस घटना के बाद प्रशासन ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने बच्चों को वही दूषित कफ सिरप दिया, जिसके कारण यह दुखद घटना हुई।


प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में अत्यधिक मात्रा में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया था। प्रयोगशाला की रिपोर्ट में 48.6% DEG की उपस्थिति दर्ज की गई, जो किडनी फेल होने और मृत्यु का कारण बन सकता है। इस घटना ने दवाओं की गुणवत्ता और सरकारी निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


डॉक्टर और कंपनी पर कार्रवाई

डॉक्टर और कंपनी पर एफआईआर


पुलिस ने डॉक्टर प्रवीण सोनी और सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह मामला औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।


खुलासे की प्रक्रिया

कैसे हुआ खुलासा?


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों की शिकायत के बाद जांच शुरू की गई। पता चला कि अधिकांश प्रभावित बच्चों को यही सिरप दिया गया था। जहरीले रसायन की पुष्टि होते ही कार्रवाई तेज कर दी गई।


सरकार की सख्ती

सरकार की सख्ती और आगे की जांच


राज्य सरकार ने इस मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि कंपनी के अन्य उत्पादों की भी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


छिंदवाड़ा की यह घटना दवा उद्योग में लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी का एक बड़ा उदाहरण है। यह एक चेतावनी है कि यदि निगरानी प्रणाली को मजबूत नहीं किया गया, तो ऐसी त्रासदियां फिर से हो सकती हैं।


स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

छिंदवाड़ा में 9 मासूमों की गई जान, मचा हड़कंप


स्वास्थ्य विभाग ने निजी डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वायरल बुखार के मरीजों को तुरंत सिविल अस्पताल भेजा जाए। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। सरकार ने जांच को तेज कर दिया है और दोषी दवा कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है। लोगों में डर का माहौल है और अभिभावकों से अपील की गई है कि वे बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवा न दें।