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जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी: आस्था और रहस्य का केंद्र

जगन्नाथ पुरी का मंदिर, जो भारत के चार धामों में से एक है, अपनी तीसरी सीढ़ी 'यम शिला' के लिए प्रसिद्ध है। इस सीढ़ी पर पैर रखना अशुभ माना जाता है, जिससे भक्तों के पुण्य समाप्त हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज ने भगवान जगन्नाथ से इस सीढ़ी पर स्थान देने का अनुरोध किया था। जानें इस रहस्य और मान्यता के बारे में अधिक जानकारी।
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जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी: आस्था और रहस्य का केंद्र

जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी

जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी: भारत के चार धामों में से एक, जगन्नाथ पुरी मंदिर आस्था का एक महत्वपूर्ण स्थल है। इस मंदिर की एक विशेष सीढ़ी भक्तों के लिए कौतूहल और श्रद्धा का विषय बनी हुई है। यह सीढ़ी, जिसे ‘यम शिला’ कहा जाता है, मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी है। मान्यता है कि इस पर पैर रखना अशुभ माना जाता है और ऐसा करने से व्यक्ति के पुण्य समाप्त हो जाते हैं। जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन तीसरी सीढ़ी को विशेष रूप से पहचाना जाता है। इसे अन्य सीढ़ियों से अलग दिखाने के लिए काले रंग से रंगा गया है, ताकि लोग गलती से भी इस पर पैर न रखें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस सीढ़ी पर मृत्यु के देवता यमराज का निवास है।


मान्यता का इतिहास

क्या है मान्यता?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज ने भगवान जगन्नाथ से एक बार अपनी चिंता व्यक्त की थी कि उनके लोक में जाने वाले लोगों की संख्या कम हो रही है, क्योंकि मंदिर के दर्शन से भक्त मोक्ष प्राप्त कर रहे हैं। तब भगवान जगन्नाथ ने यमराज को तीसरी सीढ़ी पर स्थान देने का आश्वासन दिया और कहा कि जो भक्त दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसके पुण्य समाप्त हो जाएंगे और उसे यमलोक की यात्रा करनी पड़ेगी।


तीसरी सीढ़ी का महत्व

तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से नहीं मिलता मोक्ष

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से दर्शन का पुण्य निष्फल हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। यही कारण है कि श्रद्धालु दर्शन के बाद सावधानी बरतते हैं और तीसरी सीढ़ी को छूने से बचते हैं। यह रहस्य और इससे जुड़ी आस्था ही इस सीढ़ी को भक्तों के लिए पूज्य और वर्जित बनाती है। आज भी हजारों श्रद्धालु इस परंपरा का पालन करते हैं और यम शिला को श्रद्धा से नमन करते हुए आगे बढ़ते हैं।