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जन औषधि केंद्रों का विस्तार: मेट्रो शहरों में नई योजनाएं

केंद्र सरकार ने जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे मेट्रो शहरों और 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में फार्मेसी स्टोर खोलने में आसानी होगी। नए नियमों के तहत, इन शहरों में दवा केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है। यह योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत सस्ती जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके।
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जन औषधि केंद्रों का विस्तार: मेट्रो शहरों में नई योजनाएं

जन औषधि केंद्रों का वर्तमान परिदृश्य

जन औषधि केंद्र: भारत में वर्तमान में 11,000 जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं। केंद्र सरकार अब और अधिक जन औषधि केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इस योजना के तहत, मेट्रो शहरों और 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में फार्मेसी स्टोर खोलने के लिए दूरी से संबंधित नियमों में ढील दी गई है। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब इन शहरों में दवा केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी बनाए रखने की आवश्यकता नहीं होगी।


जन औषधि केंद्रों का उद्देश्य

प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट, प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के अंतर्गत, जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए नए जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। ये केंद्र सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाइयां प्रदान करते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में आधी कीमत पर उपलब्ध होती हैं।


PMBI द्वारा जारी दिशा-निर्देश

फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) ने 10 सितंबर को एक दस्तावेज जारी किया, जिसमें जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय घनी जनसंख्या वाले शहरों में दवाओं के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। अब दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और अहमदाबाद जैसे 7 प्रमुख शहरों में किसी भी दो जन औषधि केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी बनाए रखने की आवश्यकता नहीं होगी।


नियमों की अवधि

योजना के नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुवासीस दास ने बताया कि जन औषधि केंद्र से न्यूनतम एक किलोमीटर की दूरी पर दूसरा केंद्र खोलने की नीति केंद्र के उद्घाटन की तारीख से 2 वर्षों तक लागू रहेगी। 2011 की जनगणना के अनुसार, 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 46 शहरों की कुल जनसंख्या 80.57 मिलियन है। इनमें पुणे, सूरत, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, नागपुर, गाजियाबाद, इंदौर, कोयंबटूर और कोच्चि शामिल हैं।