जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के 6 साल: विकास की नई कहानी

अनुच्छेद 370 का प्रभाव: एक नई दिशा
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त हुए छह वर्ष पूरे हो गए हैं। इस अवधि में, क्षेत्र ने शासन प्रणाली, बुनियादी ढांचे, नागरिकों की भागीदारी और निवेश के मामलों में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे हैं। केंद्र सरकार का दावा है कि इस संवैधानिक बदलाव ने जम्मू-कश्मीर को समावेशी विकास, लोकतांत्रिक मजबूती और दीर्घकालिक शांति की ओर अग्रसर किया है।
राजनीतिक बहसों के बीच विकास की ओर कदम
जहां राजनीतिक चर्चाएं राज्य के दर्जे की बहाली पर जारी हैं, वहीं सरकार का ध्यान जन कल्याण, आर्थिक पुनरुद्धार और स्थायी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थापना पर केंद्रित है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, जम्मू-कश्मीर ने न केवल बुनियादी ढांचे में बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी नए मानक स्थापित किए हैं।
लोकतांत्रिक भागीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि
लोकतांत्रिक भागीदारी में ऐतिहासिक वृद्धि
केंद्र सरकार के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा परिवर्तन लोकतांत्रिक भागीदारी के स्तर पर हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति से प्रेरित होकर पंचायत चुनावों में 70% तक मतदान दर दर्ज की गई। 2020 में जिला विकास परिषद (DDC) चुनावों के माध्यम से पहली बार ज़मीनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गति मिली। इसके बाद नगरपालिका और पंचायत चुनावों ने लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत किया। 2024 में हुए विधानसभा चुनावों में युवाओं, महिलाओं और विशेषकर दक्षिण कश्मीर के सरपंचों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक सुधार
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ा निवेश हुआ है। जम्मू में IIT की स्थापना और विजयपुर में एम्स का संचालन शुरू हो चुका है। अवंतीपोरा में दूसरा एम्स 2025 के अंत तक कार्यरत होने की संभावना है। रियासी में भी एक नया मेडिकल कॉलेज खोला गया है। यहां के छात्र अब UPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं। रोजगार मेलों और स्टार्टअप योजनाओं के जरिए युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिनमें कई महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही है।
आर्थिक निवेश की नई ऊंचाइयां
80,000 करोड़ रुपये का निवेश
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। इस निवेश का फोकस रोजगार, उद्यमिता और बुनियादी ढांचे पर रहा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक अब पूरी तरह चालू है, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। ज़ोजिला टनल, ज़ेड मोड़ टनल और बनिहाल-काज़ीगुंड सुरंग जैसी मेगा परियोजनाएं क्षेत्रीय गतिशीलता को बढ़ा रही हैं।
पर्यटन में नई संभावनाएं
टूरिज्म को मिला बढ़ावा
भारतनेट परियोजना के तहत मार्च 2025 तक 9789 फाइबर-टू-होम कनेक्शन सक्रिय किए गए हैं, जिससे डिजिटल समावेशन को बल मिला है। पर्यटन के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। श्रीनगर को UNESCO द्वारा "विश्व शिल्प नगरी" का दर्जा मिला है। 2019 में जहां श्रीनगर से 35 दैनिक उड़ानें थीं, वहीं 2024 में इनकी संख्या बढ़कर 125 हो गई है। इको-टूरिज्म, हेरिटेज होमस्टे और स्थानीय कारीगरों द्वारा संचालित अनुभवों ने पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा दी है और स्थानीय आजीविका में वृद्धि की है।
सरकार का दृष्टिकोण
सरकार का दावा
हालांकि राजनीतिक बहसें और आलोचनाएं बनी हुई हैं, लेकिन केंद्र सरकार का मानना है कि अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में संविधान के पूर्ण अधिकार, आर्थिक समानता और स्थायी लोकतंत्र का मार्ग प्रशस्त हुआ है। सरकार का दावा है कि इस संवैधानिक परिवर्तन से "शांति और समावेशी विकास की नई इबारत" लिखी जा रही है।