जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से जुड़े दो सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी

सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इन पर लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने और उनके लिए कार्य करने के गंभीर आरोप हैं। कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों ने इन कर्मचारियों के खिलाफ ठोस सबूत एकत्र किए थे।
इन कर्मचारियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया और आतंकवादी संगठनों को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान की। सरकार ने इस कार्रवाई के लिए संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) का उल्लेख किया, जिसके तहत यदि किसी कर्मचारी की सेवाएं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनती हैं, तो बिना विभागीय जांच के भी उसे बर्खास्त किया जा सकता है। यह प्रावधान आतंकवाद और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों से संबंधित मामलों में लागू होता है।
Jammu & Kashmir Lieutenant Governor Manoj Sinha today terminated two government employees for terror links, invoking Article 311 (2) (c) of the Constitution. Investigation clearly established that the two government employees were working for the terror outfit Lashkar-e-Taiba,…
— News Media (@NewsMedia) August 22, 2025
आतंकवादी संगठनों से संबंध
अधिकारियों के अनुसार, ये कर्मचारी लंबे समय से आतंकवादी संगठनों के संपर्क में थे और खुफिया एजेंसियों को उनके खिलाफ ठोस सबूत मिले हैं। जांच में यह भी सामने आया कि लश्कर-ए-तैयबा की सहायता से वे आतंकवादी नेटवर्क को मजबूत करने का प्रयास कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सरकारी पद पर रहते हुए आतंकियों से संबंध रखना या उन्हें सहायता प्रदान करना राष्ट्रहित के खिलाफ है और इसे किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जाएगा। अधिकारियों ने यह भी बताया कि सरकार इस प्रकार की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रख रही है और किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कई बार ऐसे सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया है जिनके आतंकवादी संगठनों से संबंध पाए गए थे। केंद्र और राज्य प्रशासन की नीति के तहत राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। इस कार्रवाई को सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इस कदम से आतंकवादी नेटवर्क को एक बड़ा झटका लगेगा और सरकारी प्रणाली के भीतर छिपे ऐसे तत्वों के खिलाफ एक कड़ा संदेश जाएगा।