जम्मू-कश्मीर में डॉ. गुलाम नबी फई की संपत्ति कुर्क करने का आदेश: क्या है मामला?
डॉ. गुलाम नबी फई की संपत्ति पर कार्रवाई
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की विशेष अदालत ने अमेरिका में रहने वाले कश्मीरी लॉबिस्ट डॉ. गुलाम नबी शाह, जिन्हें डॉ. फई के नाम से भी जाना जाता है, की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया है। अदालत ने बडगाम जिले के वाडवान और चट्टाबुघ गांवों में 1.5 कनाल से अधिक भूमि जब्त करने के लिए कहा है। जिला प्रशासन को इस आदेश के तहत तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्णय देश विरोधी गतिविधियों से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण कानूनी कदम माना जा रहा है.
कुर्क की जाने वाली भूमि का विवरण
अदालत के आदेश के अनुसार, वाडवान गांव में एक कनाल दो मरला और चट्टाबुघ गांव में ग्यारह मरला भूमि कुर्क की जाएगी। कुल मिलाकर, यह क्षेत्रफल लगभग 8,100 वर्ग फुट से अधिक है। अदालत ने निर्देश दिया है कि भूमि की पहचान और सीमांकन सुनिश्चित करने के लिए राजस्व और पुलिस अधिकारियों की सहायता ली जाएगी। यह प्रक्रिया कानून के अनुसार समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी.
संपत्ति कुर्क करने का कारण
सहायक लोक अभियोजक मोहम्मद इकबाल राठेर ने अदालत में बताया कि डॉ. फई पहले ही फरार घोषित किया जा चुका है। 2020 में उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने उसे पेश होने के लिए नोटिस दिया था, लेकिन उसने 30 दिनों की समयसीमा में कोई जवाब नहीं दिया। इसी आधार पर उसकी संपत्ति कुर्क करने की अनुमति दी गई.
डॉ. गुलाम नबी फई का परिचय
डॉ. फई बडगाम जिले का निवासी है और जांच एजेंसियों के अनुसार, वह प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी का समर्थक रहा है। उसे नामित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन का करीबी सहयोगी माना जाता है। उस पर भारत में आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के गंभीर आरोप हैं, जिसके कारण वह लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में है.
अमेरिका में डॉ. फई का खुलासा
डॉ. फई एक समय वॉशिंगटन स्थित कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल का निदेशक था, जिसे वह कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करने वाला स्वतंत्र मंच बताता था। लेकिन 2011 में FBI की जांच में यह सामने आया कि यह संगठन ISI के इशारे पर काम कर रहा था। अमेरिकी एजेंसियों ने साबित किया कि फई ने दो दशकों में ISI से कम से कम 35 लाख डॉलर प्राप्त किए, जिसका उपयोग अमेरिका की कश्मीर नीति को प्रभावित करने में किया गया.
डॉ. फई को जेल क्यों भेजा गया?
2012 में वर्जीनिया की एक फेडरल कोर्ट ने डॉ. फई को साजिश और टैक्स उल्लंघन का दोषी ठहराया। उसे दो साल की जेल की सजा सुनाई गई। ट्रायल के दौरान अभियोजकों ने बताया कि फई ने अपनी डॉक्टरेट डिग्री के बारे में झूठ बोला था और उसने वर्षों तक इस फर्जी पहचान का उपयोग कर राजनीतिक और अकादमिक हलकों में प्रभाव बनाया। अमेरिकी अदालत ने इसे गंभीर धोखाधड़ी माना.
इस कार्रवाई का महत्व
NIA कोर्ट का यह आदेश स्पष्ट संकेत देता है कि विदेश में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रचने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। फरार आरोपियों की संपत्ति भी सुरक्षित नहीं रहेगी। जांच एजेंसियां अब आतंकी नेटवर्क की आर्थिक कमर तोड़ने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, और सरकार का संदेश स्पष्ट है कि देश विरोधी गतिविधियों की कीमत चुकानी पड़ेगी.
