जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से हुई तबाही: 60 से अधिक मृतक, राहत कार्य जारी

जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा का कहर
जम्मू और कश्मीर के किस्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में 14 अगस्त को हुई विनाशकारी बादल फटने की घटना के बाद, राहत और बचाव कार्य शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। इस भीषण आपदा में 60 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्थानीय निवासियों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सैकड़ों लोग अचानक आई बाढ़ और मलबे में बह गए या दब गए।सरकारी प्रतिक्रिया और राहत प्रयास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से बातचीत की और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार शाम को किश्तवाड़ का दौरा किया और शनिवार को चशोटी गांव का निरीक्षण किया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और वहां चल रहे बचाव कार्यों की समीक्षा की।
आपदा का पैमाना और प्रभाव
यह बादल फटने की घटना, जिसने अचानक बाढ़ का रूप लिया, जम्मू-कश्मीर में कई वर्षों बाद इस तरह का व्यापक विनाश लेकर आई है। चशोटी गांव, जो म चिदैल माता मंदिर के रास्ते का अंतिम मोटर योग्य गांव है, लगभग 12:25 बजे इस आपदा का शिकार हुआ। इस घटना ने एक अस्थायी बाजार, यात्रियों के लिए सामुदायिक रसोई और एक सुरक्षा चौकी को नष्ट कर दिया। इसके अलावा, 16 आवासीय भवन, सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पानी की चक्कियां, एक 30 मीटर का पुल और कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए।
हताहतों की संख्या और लापता लोग
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अब तक 46 शवों की पहचान की जा चुकी है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया गया है। वहीं, 75 लोग लापता हैं। मारे गए लोगों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के दो जवान और एक विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) भी शामिल हैं।
बचाव अभियान
सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, बीआरओ, नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की एक समन्वित टीम उच्च-ऊंचाई वाले इलाके में बचाव कार्य में जुटी हुई है। भारतीय वायु सेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर और एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर भी बचाव कार्यों के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया है कि वे इस घटना के कारणों की जांच करेंगे कि क्या प्रशासन द्वारा कोई निवारक कदम उठाए जा सकते थे, खासकर जब मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की थी।