जयशंकर का बयान: वैश्विक व्यापार में बदलाव और नई चुनौतियाँ
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका की व्यापार नीतियों के प्रभावों पर चर्चा करते हुए वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और नई चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि वैश्विक विनिर्माण का एक तिहाई हिस्सा चीन में स्थानांतरित हो गया है, जिससे संप्रभुता में कमी आई है। इसके अलावा, उन्होंने डेटा के उपयोग और कृत्रिम मेधा के विकास पर प्रतिस्पर्धा के मुद्दों को भी उठाया। जानें उनके विचारों के पीछे की रणनीतियाँ और भारत की स्थिति इस अस्थिरता के बीच।
Oct 7, 2025, 14:01 IST
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अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अस्थिरता पर विदेश मंत्री का बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीतियों के कारण उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के संदर्भ में कहा कि वैश्विक व्यापार में टैरिफ की अस्थिरता देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार किया जा रहा है या उन्हें पूरी तरह से त्यागा जा रहा है। भू-राजनीतिक परिदृश्य में हो रहे व्यापक परिवर्तनों के रणनीतिक परिणामों पर चर्चा करते हुए, उन्होंने बताया कि वैश्विक विनिर्माण का एक तिहाई हिस्सा चीन में स्थानांतरित हो गया है, जिससे संप्रभुता में कमी आई है। यह विषय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन स्कूल में अरावली शिखर सम्मेलन में उनके भाषण का मुख्य बिंदु था।
जयशंकर ने वैश्विक परिदृश्य में हो रहे परिवर्तनों की तीव्रता और उनके प्रभावों पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक विनिर्माण का एक बड़ा हिस्सा एक ही भूगोल में स्थानांतरित हो गया है, जिसका प्रभाव आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ रहा है। उन्होंने अमेरिका की व्यापार नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि कई समाजों में वैश्वीकरण के खिलाफ भावनाएँ बढ़ रही हैं। टैरिफ में उतार-चढ़ाव के कारण व्यापार गणनाएँ प्रभावित हो रही हैं। इसके अलावा, वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जिसमें अमेरिका जीवाश्म ईंधन का प्रमुख निर्यातक बन गया है और चीन नवीकरणीय ऊर्जा का प्रमुख निर्यातक बन रहा है।
उन्होंने कहा कि डेटा के उपयोग और कृत्रिम मेधा के विकास पर कई प्रतिस्पर्धी मॉडल मौजूद हैं, जो एक-दूसरे से टकरा रहे हैं। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ अब महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गई हैं और नए कनेक्टिविटी के रास्ते उभर रहे हैं, जिनमें से कुछ रणनीतिक उद्देश्यों के साथ हैं। विदेश मंत्री ने प्रतिबंधों के उपयोग, संपत्तियों की जब्ती और क्रिप्टोकरेंसी के आगमन को वैश्विक वित्त परिदृश्य को बदलने वाले तत्वों के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि दुर्लभ मृदा और महत्वपूर्ण खनिजों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, जबकि प्रौद्योगिकी नियंत्रण भी कड़े हो गए हैं। जयशंकर ने यह भी कहा कि जहां अधिकांश देश इन चुनौतियों का सामना करने में संघर्ष कर रहे हैं, वहीं भारत को इस अस्थिरता के बीच अपनी रणनीति बनानी होगी और आगे बढ़ते रहना होगा।