जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी, सभी दलों की सहमति

भ्रष्टाचार के आरोपों में जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ीं
जस्टिस यशवंत वर्मा, जो भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हुए हैं, की समस्याएं और बढ़ सकती हैं। 14 मार्च 2025 को उनके नई दिल्ली स्थित आवास के स्टोर रूम में आग लगने के बाद, वहां से बड़ी संख्या में जले हुए नोट मिले थे। इस घटना के बाद से वह विवादों में आ गए हैं। उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। अब उनके खिलाफ महाभियोग लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
महाभियोग पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है। इसके बाद केंद्र सरकार महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि संसद के आगामी मॉनसून सत्र में इस पर चर्चा हो सकती है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने सभी दलों से इस मुद्दे पर बातचीत की है और सभी दल जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए सहमत हैं।
गृह मंत्री की बैठकें और राजनीतिक गतिविधियाँ
इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह ने कई बैठकें की हैं। उन्होंने कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल से मुलाकात की और इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने राज्यसभा के नेता जेपी नड्डा और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से भी इस मामले पर बातचीत की।
महाभियोग की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अब तक पांच जजों के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, लेकिन वी. रामास्वामी पहले ऐसे न्यायाधीश थे जिनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव 1993 में लाया गया था। हालांकि, वह बहुमत हासिल करने में असफल रहे। इसके अलावा, कलकत्ता उच्च न्यायालय के जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ 2011 में महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।