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जातीय भेदभाव के शिकार 12 वर्षीय बच्चे ने की आत्महत्या, मामला तूल पकड़ रहा है

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में एक 12 वर्षीय अनुसूचित जाति के बच्चे ने जातीय भेदभाव और प्रताड़ना के कारण आत्महत्या कर ली। आरोप है कि ऊंची जाति की महिलाओं ने बच्चे को पीटा और गौशाला में बंद कर दिया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। पुलिस ने मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है और मुख्य आरोपी महिला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत ले ली है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और पुलिस की जांच के बारे में।
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जातीय भेदभाव के शिकार 12 वर्षीय बच्चे ने की आत्महत्या, मामला तूल पकड़ रहा है

शिमला में जातीय भेदभाव का मामला

शिमला: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। रोहड़ू उपमंडल के चिड़गांव में एक 12 वर्षीय अनुसूचित जाति के बच्चे ने कथित तौर पर जातीय भेदभाव और प्रताड़ना के कारण आत्महत्या कर ली। आरोप है कि ऊंची जाति की महिलाओं ने बच्चे को घर में घुसने पर 'अशुद्ध' मानकर पीटा और उसे गौशाला में बंद कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने बच्चे के परिवार से 'शुद्धि' के लिए बकरे की मांग भी की।


पुलिस को मिली शिकायत के अनुसार, यह घटना 16 सितंबर को हुई। जब चिड़गांव का एक व्यक्ति शाम को घर लौटा, तो उसने अपने बेटे को बिस्तर पर बेहोश पाया। परिवार ने तुरंत उसे स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे गंभीर हालत में आईजीएमसी शिमला रेफर किया गया। इलाज के दौरान, 17 सितंबर की रात बच्चे ने दम तोड़ दिया। परिजनों को बाद में पता चला कि उसने जहर खाया था।


मामला तब और गंभीर हो गया जब 18 सितंबर को मृतक बच्चे की मां ने पुलिस को पूरी घटना बताई। मां के अनुसार, उनका बेटा 16 सितंबर को गांव की एक महिला की दुकान पर सामान लेने गया था। दुकान बंद होने पर वह महिला के घर के आंगन में चला गया, जिससे नाराज महिला ने उसे बेरहमी से पीटा और दो अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उसे गौशाला में बंद कर दिया।


महिला ने बच्चे के परिवार से घर की 'शुद्धि' के लिए बकरे की मांग की। बच्चा किसी तरह गौशाला से भागकर घर पहुंचा, लेकिन इस अपमान को सहन नहीं कर सका और उसने जहरीला पदार्थ खा लिया।


डीएसपी रोहड़ू, प्रणव चौहान ने सोमवार को मामले की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि बच्चे ने मरने से पहले अपनी मां को पूरी घटना के बारे में बताया था। पुलिस ने शुरुआत में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन जातिगत प्रताड़ना का पहलू सामने आने के बाद 26 सितंबर को अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा भी जोड़ी गई है।


डीएसपी ने कहा कि मुख्य आरोपी महिला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली है। अदालत ने पुलिस को 6 अक्टूबर तक मामले की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि मामले में शामिल अन्य महिलाओं की भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।