जापान ने अंतरिक्ष सुरक्षा नियम जारी किए, चीन ने किया खंडन
अंतरिक्ष में सुरक्षा के नए दिशा-निर्देश
इस समय विश्व में रूस-यूक्रेन और थाईलैंड-कंबोडिया के बीच संघर्ष चल रहा है। हाल ही में ईरान और इज़राइल के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई है। इस बीच, यह सवाल उठता है कि क्या यह संघर्ष अंतरिक्ष में भी फैल सकता है। जापान ने इस संदर्भ में नए अंतरिक्ष सुरक्षा नियमों की घोषणा की है। चीन और रूस मिलकर किलर सैटेलाइट विकसित कर रहे हैं, जिसका उपयोग दूसरे देशों के सैटेलाइट को निष्क्रिय करने के लिए किया जाएगा। जापान ने इस पर चिंता जताई है, जबकि चीन ने इसे खारिज किया है।सोमवार को, जापान ने अपनी पहली अंतरिक्ष रक्षा दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया है कि वे अंतरिक्ष में अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। चीन और रूस द्वारा विकसित किलर सैटेलाइट्स के खतरे को देखते हुए, जापान ने अपनी सेल्फ डिफेंस फोर्स और निजी कंपनियों के सहयोग से सैटेलाइट सुरक्षा को मजबूत करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, जापान ने मिसाइल प्रक्षेपणों का पता लगाने और संचार सुरक्षा पर भी ध्यान देने का आश्वासन दिया है।
चीन ने जापान के दावों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने कहा कि जापान का यह आरोप पूरी तरह से गलत है और यह चीन को बदनाम करने का प्रयास है।
किलर सैटेलाइट्स वे होते हैं जो किसी अन्य सैटेलाइट को नष्ट या निष्क्रिय करने का प्रयास करते हैं। जापान का कहना है कि चीन और रूस ऐसे सैटेलाइट पर काम कर रहे हैं जो अंतरिक्ष में अन्य देशों के सैटेलाइट को निशाना बना सकते हैं।
इस बीच, चीन ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को शांतिपूर्ण तरीके से संचालित करने का दावा किया है। चीनी विशेषज्ञ फू कियानशाओ ने कहा कि चीन सैटेलाइट की मरम्मत और ईंधन भरने जैसी तकनीकों पर काम कर रहा है, जिससे सैटेलाइट की उम्र और आर्थिक मूल्य बढ़ता है।
भारत भी अंतरिक्ष में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। भारत और जापान रक्षा और अंतरिक्ष अभियानों में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन चीन के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण हैं। यदि चीन अंतरिक्ष में कोई प्रयोग कर रहा है, तो भारत को सतर्क रहना चाहिए।