जापान ने चीन के निकट द्वीपों के लिए सुपरसोनिक मिसाइलों का प्रदर्शन किया

जापान का मिसाइल प्रदर्शन और क्षेत्रीय सुरक्षा
जापान ने अपने दूरदराज के द्वीपों के लिए पहली बार सुपरसोनिक मिसाइलों का प्रदर्शन किया है, जो चीन के साथ विवादित सेनकाकु द्वीपों के निकट तैनात की गई हैं। यह कदम पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
सेनकाकु द्वीपों का विवाद और जापान की नई रणनीति
सेनकाकु द्वीप, जिन्हें चीन में डियाओयू के नाम से जाना जाता है, लंबे समय से जापान और चीन के बीच विवाद का केंद्र बने हुए हैं। जापान द्वारा नियंत्रित इन निर्जन द्वीपों पर चीन भी अपना दावा करता है। हाल ही में, जापान ने अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए हाइपर वेलोसिटी ग्लाइडिंग प्रोजेक्टाइल (HVGP) जैसी उन्नत मिसाइलों का प्रदर्शन किया, जो 2026 तक चालू होने की उम्मीद है। ये मिसाइलें 1,000 किलोमीटर की रेंज के साथ चीन और उत्तर कोरिया के तटीय क्षेत्रों को निशाना बना सकती हैं।
Japan for first time shows supersonic missiles for 'remote islands' as arms near China-disputed Senkaku
— RT (@RT_com) May 31, 2025
Should Trump's allies provoke Xi? pic.twitter.com/FDZ9Sv87Ci
क्या ट्रम्प के सहयोगी शी जिनपिंग को उकसा रहे हैं?
जापान का यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के साथ उसके रक्षा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में देखा जा रहा है। ट्रम्प ने जापान-अमेरिका रक्षा संधि को असंतुलित बताते हुए कहा था, "हमारा जापान के साथ अच्छा रिश्ता है, लेकिन यह सौदा ऐसा है कि हमें उनकी रक्षा करनी है, लेकिन उन्हें हमारी रक्षा नहीं करनी।" कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जापान की यह सैन्य तैनाती ट्रम्प के सहयोगियों द्वारा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उकसाने की रणनीति हो सकती है। टोक्यो में टेम्पल यूनिवर्सिटी के विद्वान रॉबर्ट डुजारिक ने कहा, "यह स्पष्ट है कि अमेरिका-जापान गठबंधन अच्छी स्थिति में नहीं है। यदि चीन जापान पर हमला करता है, तो ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका कुछ करेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है।"
क्षेत्रीय तनाव और भविष्य की चुनौतियाँ
जापान की इस कार्रवाई ने पूर्वी चीन सागर में तनाव को और बढ़ा दिया है। 2024 में, चीनी तट रक्षक जहाजों ने सेनकाकु के आसपास 355 दिनों तक गश्त की, जो 2008 के बाद से सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी छोटी घटना से सैन्य तनाव तेजी से बढ़ सकता है।