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जावेद अख्तर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर व्यक्त की चिंता

जावेद अख्तर ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार की संभावना पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विभाजन के बाद के अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देशों ने एक महत्वपूर्ण अवसर खो दिया। उनके अनुसार, सुलह के लिए अब बहुत देर हो चुकी है और राजनीतिक स्थिति में निकट भविष्य में सुधार की संभावना नहीं है। यह बयान भावना सोमाया की पुस्तक के विमोचन के दौरान दिया गया।
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जावेद अख्तर ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर व्यक्त की चिंता

भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार की संभावना

प्रसिद्ध गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें संदेह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में निकट भविष्य में कोई सुधार होगा।


अख्तर ने दक्षिण अफ्रीका के सत्य एवं सुलह आयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान ने एक महत्वपूर्ण अवसर खो दिया था। उन्होंने बताया कि विभाजन के कारण दोनों देशों में बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ।


सत्य एवं सुलह आयोग एक ऐसी प्रक्रिया थी, जिसने रंगभेद के शिकार लोगों और शोषक वर्ग को एक साथ आने का अवसर प्रदान किया। फिल्म समीक्षक और लेखिका भावना सोमाया की पुस्तक “फेयरवेल कराची” के विमोचन के दौरान उन्होंने कहा, “सुलह के लिए अब बहुत देर हो चुकी है। भारत में हमारे लोग जानते हैं कि 1947-48 के बाद उनके साथ क्या हुआ। वहीं के लोग भी जानते हैं कि उनके साथ क्या हुआ। काश वे सभी एक बार साथ बैठते... 75 साल हो गए हैं, वे अब 90 साल से अधिक उम्र के होते। उनमें से कितने जीवित होते?”


अख्तर (80) ने कहा कि दोनों देशों की सरकारों को 1950 के दशक के प्रारंभ या मध्य में शरणार्थियों को एक साथ लाने का प्रयास करना चाहिए था ताकि वे अपनी यादें साझा कर सकें।


उन्होंने आगे कहा, “तभी हमें सही मायने में पता चलता कि किसके साथ क्या हुआ और कितने लोगों को किस प्रकार के अत्याचारों का सामना करना पड़ा। यह एकतरफा नहीं रहता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वैसे भी, मुझे नहीं लगता कि निकट भविष्य में राजनीतिक स्थिति में सुधार होगा।”