जी-7 शिखर सम्मेलन में ईरान-इजरायल संघर्ष का प्रभाव

जी-7 शिखर सम्मेलन में तनाव का माहौल
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष का असर कनाडा में हो रहे जी-7 शिखर सम्मेलन पर भी पड़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि वह इस सम्मेलन के दौरान किसी भी ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जिसमें ईरान के युद्ध का उल्लेख हो। वहीं, अन्य देशों का मानना है कि जी-7 को इस युद्ध को समाप्त करने का संदेश देना चाहिए। दूसरी ओर, ईरान ने संकेत दिए हैं कि वह इस संघर्ष से पीछे हटने के लिए तैयार है, बशर्ते अमेरिका इसमें शामिल न हो। हालांकि, इजरायल इस स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान के सुप्रीम लीडर की मृत्यु ही इस युद्ध का अंत कर सकती है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जी-7 देशों और भारत का इस संघर्ष पर क्या रुख होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मेलन में शामिल होने के लिए कनाडा पहुंच रहे हैं।
ट्रंप का सख्त बयान
ट्रंप ने क्या कहा?
जी-7 शिखर सम्मेलन में, ट्रंप ने ईरान को बातचीत के लिए आमंत्रित किया और कहा कि उन्हें जल्द ही कदम उठाने चाहिए। उन्होंने इजरायल का समर्थन करते हुए कहा कि 2014 में रूस को जी-7 से बाहर करना एक गलती थी। ट्रंप ने कहा, "हम हमेशा इजरायल के साथ खड़े रहे हैं।"
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान ने क्या कहा?
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन से बातचीत में कहा कि वे युद्ध को बढ़ाना नहीं चाहते, लेकिन हमलों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। ईरान ने इजरायल पर आरोप लगाया है कि उसने उनके वैज्ञानिकों और नागरिकों को निशाना बनाया है। ईरान ने यह भी कहा कि जब तक इजरायल के हमले जारी रहेंगे, अमेरिका के साथ कोई परमाणु वार्ता संभव नहीं है।
इजरायल की चेतावनी
इजराइल की चेतावनी
इजरायल ने अपने हमलों को तेज कर दिया है। आईडीएफ का दावा है कि उनके विमान बिना किसी रुकावट के तेहरान के ऊपर उड़ान भर रहे हैं। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि उनका लक्ष्य ईरान की परमाणु क्षमता और मिसाइल ढांचे को नष्ट करना है। उन्होंने तेहरान के नागरिकों से अपने घर खाली करने की अपील की है। इजरायल के हवाई हमलों ने ईरान के कई सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया है, जिससे उनकी सामरिक स्थिति कमजोर हुई है।