Newzfatafatlogo

जी राम जी बिल पर राजनीतिक दलों का विरोध तेज, कांग्रेस ने किया प्रदर्शन का ऐलान

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून की जगह लाए गए जी राम जी बिल पर राजनीतिक दलों का विरोध बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन की योजना बनाई है। राज्यों की वित्तीय स्थिति और केंद्र सरकार के नियंत्रण को लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। जानें इस बिल के संभावित प्रभाव और विपक्षी दलों की सक्रियता के बारे में।
 | 
जी राम जी बिल पर राजनीतिक दलों का विरोध तेज, कांग्रेस ने किया प्रदर्शन का ऐलान

जी राम जी बिल पर बढ़ता विरोध

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून, जिसे मनरेगा के नाम से जाना जाता है, की जगह 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण' या जी राम जी बिल लाने पर सरकार चारों ओर से आलोचना का सामना कर रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे करोड़ों गरीबों, श्रमिकों और किसानों का मुद्दा बना दिया है। तमिलनाडु से लेकर पश्चिम बंगाल तक इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर विरोध की योजना बनाई है। जिला मुख्यालयों से लेकर प्रखंडों तक इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। कांग्रेस ने 27 दिसंबर को कार्य समिति की बैठक बुलाई है और 28 दिसंबर को पार्टी के स्थापना दिवस पर जी राम जी बिल के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन करने की तैयारी की है.


राज्यों की चिंताएं और केंद्र का नियंत्रण

यह बिल जितना सरल दिखता है, उससे कहीं अधिक प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है। राज्यों में सबसे बड़ी नाराजगी इस बात को लेकर है कि उन्हें इसमें 40 प्रतिशत हिस्सा देने के लिए कहा जा रहा है। इसके अलावा, यह बिल यह भी निर्धारित करता है कि कब, कहां और क्या काम होगा, इसका निर्णय राज्य या जिला या ग्राम पंचायतें नहीं करेंगी, बल्कि केंद्र सरकार करेगी। ऐसे में, कौन सी राज्य सरकार अपने पैसे लगाकर केंद्र सरकार के निर्देशानुसार काम कराएगी? ध्यान देने योग्य है कि राज्यों के पास पहले से ही वित्तीय कमी है। कम से कम 15 राज्य किसी न किसी नाम से महिला सम्मान योजनाएं चला रहे हैं और अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा उसमें खर्च कर रहे हैं।


राज्यों की वित्तीय स्थिति

दूसरी ओर, केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी लगातार घटती जा रही है। केंद्र सरकार ने करों को स्थिर रखते हुए सेस, सरचार्ज और विशेष कर लगा दिए हैं, जिन्हें राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता। इसी तरह, टैक्स सुधार के नाम पर सरकार ने जीएसटी की दरों में कमी कर दी है, जिसका असर नवंबर की कर वसूली में स्पष्ट रूप से देखा गया। अक्टूबर की तुलना में 26 हजार करोड़ रुपये की कम वसूली हुई है। जाहिर है, कम वसूली का मतलब है कि राज्यों का हिस्सा और घटेगा। इसके अलावा, यह आशंका भी जताई जा रही है कि सरकार इस बिल का राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।


विपक्ष का सक्रिय विरोध

यह चिंता भी है कि केंद्र सरकार भाजपा शासित राज्यों की बजाय विपक्षी शासित राज्यों को निशाना बना सकती है। इसी कारण, तमिलनाडु से लेकर पश्चिम बंगाल तक डीएमके और टीएमसी जैसी पार्टियां भी इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इस प्रकार, जबकि भाजपा चुनाव जीत रही है, आम जनता के बीच उसकी छवि बदल रही है। विपक्षी दल पहले की तरह चुप नहीं हैं, बल्कि हर मंच से सरकार की नीतियों का खुलासा कर रहे हैं।