जींद में फसल क्षति के लिए किसानों को मिलेगी सहायता

फसल क्षति की समस्या
जींद जिले के किसानों के लिए कठिनाइयाँ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। लगभग 10,000 एकड़ की फसल जलभराव के कारण संकट में है। स्थिति और भी गंभीर हो गई है क्योंकि नहरों में पानी छोड़ा गया है, जिससे खेतों में जल स्तर बढ़ सकता है।
किसानों की चिंताएँ
किसानों का कहना है कि ऊपरी खेतों में नहरी पानी छोड़ने से नीचे के क्षेत्रों में पानी भर रहा है। जुलाना क्षेत्र के 20 से अधिक गांवों के खेतों में एक से तीन फीट तक पानी भरा हुआ है। किसान रमेश बुआना और संदीप खरेंटी ने बताया कि जैसे ही पानी कम होने की उम्मीद होती है, बारिश फिर से स्थिति को बिगाड़ देती है। उचाना के किसान कुलदीप और अंकुश ने कहा कि उनकी कपास की फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। मोरखी गांव के जयबीर और पवन के खेत तो तालाब में तब्दील हो गए हैं।
बिजली कटौती की समस्या
गांगोली पावर हाउस से पहले 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन अब इसे घटाकर 8 घंटे कर दिया गया है। इससे पानी निकालने के लिए लगी मोटरें बंद हो गई हैं। किसानों का कहना है कि यदि पानी निकासी का उचित प्रबंध नहीं किया गया, तो फसलें और अधिक खराब हो जाएंगी। इस बीच, मुख्यमंत्री नायब सैनी ने नरवाना क्षेत्र के चार गांवों का दौरा कर जलभराव की स्थिति का निरीक्षण किया। उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की और आश्वासन दिया कि सरकार नुकसान की भरपाई करेगी।
क्षतिपूर्ति पोर्टल की जानकारी
किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला है। जिला राजस्व अधिकारी राजकुमार के अनुसार, किसान 10 सितंबर तक अपनी खराब फसलों का विवरण इस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। इसके बाद नुकसान का सत्यापन किया जाएगा और रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। जिले के 48 गांवों के लिए पहले से पोर्टल उपलब्ध था, और अब नरवाना, उचाना सहित अन्य गांवों को शामिल करने के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। इस प्रकार, लगभग 100 गांवों के किसान इस पोर्टल का उपयोग कर सकेंगे। अधिकारियों का कहना है कि जिले में 25,000 एकड़ भूमि जलभराव से प्रभावित हुई है, जिसमें से 10,000 एकड़ पर अभी भी भारी मात्रा में पानी जमा है।