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जींद में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जिला स्तरीय समारोह

जींद में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक भव्य जिला स्तरीय समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने वंदे मातरम के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे भारत की आत्मा का प्रतीक बताया। समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के लाइव संबोधन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 2026 तक विभिन्न चरणों में जारी रहेगा, जिसका उद्देश्य नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना को जागृत करना है।
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जींद में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जिला स्तरीय समारोह

वंदे मातरम का महत्व और समारोह


  • वंदे मातरम भारत की आत्मा का प्रतीक: कृष्ण बेदी
  • मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी की उपस्थिति


जींद। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि वंदे मातरम केवल दो शब्द नहीं हैं, बल्कि यह भारत की आत्मा, चेतना और वीरता का प्रतीक है। उन्होंने शुक्रवार को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में यह बात कही, जो वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।


उन्होंने बताया कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में अपनी कृति आनंद मठ में वंदे मातरम की अमर पंक्तियां लिखी थीं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के संबोधन का लाइव प्रसारण भी किया गया। कार्यक्रम में डीसी मोहम्मद इमरान रजा, पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह, एडीसी विवेक आर्य, सीआरएसयू की रजिस्ट्रार लवलीन मोहन, जींद के एसडीएम सत्यवान मान और बीजेपी के जिला प्रधान तजेंद्र ढुल सहित कई अधिकारी और विद्यार्थी उपस्थित थे।


प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम

कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने वंदे मातरम के उपलक्ष्य में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान स्कूली विद्यार्थियों ने देशभक्ति से भरे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद 24 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में वंदे मातरम को जन-गण-मन के समान सम्मान देने की घोषणा की थी।


इस कार्यक्रम का आयोजन 7 नवंबर 2025 से शुरू होकर 7 नवंबर 2026 तक चार चरणों में किया जाएगा। इसका उद्देश्य वंदे मातरम गीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व को जन-जन तक पहुंचाना है।


देशभक्ति की भावना का संचार

कार्यक्रम के दौरान वंदे मातरम गीत की रचना, बंकिम चंद्र चटर्जी के जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में इसके महत्व पर चर्चा की गई। उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि वंदे मातरम के शब्दों से देशभक्ति की भावना जागृत होती है। यह गीत 1882 में आनंद मठ उपन्यास में पहली बार प्रकाशित हुआ था।


उन्होंने युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाते हुए कहा कि हमें उनकी कुर्बानियों का सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम का समापन राज्य गीत के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में वंदे मातरम का उद्घोष किया।