जींद में सौ कुंडीय यज्ञ का आयोजन: नशा मुक्त रहने की शपथ
यज्ञ का आयोजन और उद्देश्य
जींद, हरियाणा। आर्य युवा समाज के नेतृत्व में, डीएवी पब्लिक स्कूल ने अंबेडकर पार्क, रानी तालाब पर 100 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में स्कूल के 100 छात्रों ने पीतांबर कुर्ता और सफेद पायजामा पहनकर एकजुटता के साथ भाग लिया। यज्ञ का उद्देश्य जनसाधारण को इसके महत्व से अवगत कराना था, इसलिए इसे संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में किया गया। गायन का कार्य हरेंद्र भारद्वाज की भजन मंडली ने किया।
यजमान और प्रमुख उपस्थित लोग
यज्ञ में हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा के बेटे रुद्राक्ष मिड्ढा, जींद नगर परिषद की अध्यक्षा अनुराधा सैनी, और हरियाणा साहित्य और संस्कृति अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने भाग लिया। स्कूल की प्राचार्या रश्मि विद्यार्थी ने ब्रह्मा के रूप में यज्ञ में आहुतियां दीं और सभी बच्चों पर पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद दिया। इस कार्यक्रम का संचालन कर्ण देव शास्त्री और कालवा गुरुकुल के संत महात्माओं ने किया।
नशा मुक्त रहने की शपथ
यज्ञ का आयोजन युवाओं को नशे से दूर रखने के उद्देश्य से किया गया। प्राचार्या रश्मि विद्यार्थी ने सभी उपस्थित लोगों को नशा मुक्त रहने की शपथ दिलवाई। रुद्राक्ष मिड्ढा ने कहा कि डीएवी स्कूल हमेशा सकारात्मक पहलों में अग्रणी रहा है। इस बार नशा मुक्ति का अभियान धर्म से जोड़ा गया है, जो मानवता के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।
भविष्य की योजनाएं
डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने बताया कि डीएवी कॉलेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पूनम सूरी ने पहले भी कई यज्ञ आयोजित किए हैं। अब आर्य युवा समाज हरियाणा में योगी सूरी के नेतृत्व में प्रत्येक स्कूल में 100 कुंडीय हवन यज्ञ करवा रहा है। प्रदेशभर में एक लाख हवन कुंड में आहुति देकर नशे से बचने की शपथ ली गई है।
इस कार्यक्रम में नप महासचिव एसपी भारद्वाज, कमांडेंट रमाकांत, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि शहर के प्रमुख स्थानों पर तीन और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा, जो 31 मार्च 2026 तक चलेगा।
डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि
इस अवसर पर प्रमुख नागरिकों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। युवा समाज की ओर से सभी नागरिकों को स्वामी दयानंद की पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' निशुल्क वितरित की गई। अतिथियों को वेदों के संपूर्ण सेट भेंट किए गए, जो हिंदू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अंत में सभी को भोजन प्रसाद दिया गया।
