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जींद में स्वास्थ्यकर्मियों ने किया रैपिड फीवर सर्वे

जींद के जलालपुर कलां गांव में स्वास्थ्यकर्मियों ने रैपिड फीवर सर्वे का आयोजन किया। इस सर्वे में बुखार पीड़ितों की जांच की गई और मलेरिया से बचाव के उपायों की जानकारी दी गई। स्वास्थ्यकर्मियों ने गांव में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत शपथ भी दिलाई। जानें इस सर्वे के दौरान क्या-क्या किया गया और मलेरिया से बचने के उपाय क्या हैं।
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जींद में स्वास्थ्यकर्मियों ने किया रैपिड फीवर सर्वे

स्वास्थ्यकर्मियों का रैपिड फीवर सर्वे


जींद। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दरियावाला के अंतर्गत जलालपुर कलां गांव में स्वास्थ्यकर्मियों ने रैपिड फीवर सर्वे का आयोजन किया। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मियों ने बुखार से पीड़ित लोगों की रक्त पट्टिका बनाई और घरों में पानी के स्रोतों जैसे टंकी, कूलर, होदी, ड्रम और कबाड़ में लार्वा की जांच की। साथ ही, मलेरिया से बचाव के लिए पंपलेट भी वितरित किए गए।


स्वास्थ्यकर्मियों ने गांव में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत शपथ भी दिलाई और पीएनडीटी एक्ट की जानकारी दी। पवन श्योकंद ने बताया कि मलेरिया बुखार संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है, जो पानी में अपने जीवन चक्र को पूरा करता है।


पानी जमा न होने दें

घरों के आसपास पानी जमा ना होने दें


मलेरिया बुखार में कंपकंपी के साथ बुखार आता है, जो पसीना आने पर उतर जाता है। इसके अन्य लक्षणों में सिरदर्द, उल्टी, दस्त, चक्कर आना और थकावट शामिल हैं। इससे बचने के लिए अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें। यदि पानी जमा है, तो उसमें काला तेल डालें। कूलर का पानी हर सप्ताह बदलें और मच्छरदानी लगाकर सोएं।