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जीएसटी 2.0 के तहत मेडिकल डिवाइस पर टैक्स में कमी से स्वास्थ्य सेवाएं होंगी सस्ती

जीएसटी 2.0 के तहत मेडिकल डिवाइस पर टैक्स में कमी से स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती और सुलभ होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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जीएसटी 2.0 के तहत मेडिकल डिवाइस पर टैक्स में कमी से स्वास्थ्य सेवाएं होंगी सस्ती

जीएसटी में बदलाव का स्वागत

मेडिकल डिवाइस और फार्मा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सोमवार को जीएसटी 2.0 के तहत संशोधित कर दरों के लागू होने की सराहना की। उनके अनुसार, इससे स्वास्थ्य सेवाएं पहले से अधिक सस्ती और सुलभ होंगी।


जीएसटी काउंसिल का निर्णय

इस महीने की शुरुआत में, जीएसटी काउंसिल ने मेडिकल डिवाइस पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था।


स्वास्थ्य के लिए क्रांतिकारी कदम

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री ने जीएसटी सुधार को एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।


प्रधानमंत्री का आभार

पोस्ट में कहा गया कि मेडिकल डिवाइस पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया गया। इस बदलाव से हर नागरिक के लिए मेडिकल डिवाइस सस्ते हो जाएंगे।


इलाज की लागत में कमी

इस ऐतिहासिक सुधार के कारण इलाज की लागत में कमी आएगी और आवश्यक स्वास्थ्य तकनीक की पहुंच पूरे भारत में बढ़ेगी।


किफायती मेड इन इंडिया डिवाइस

एसोसिएशन ने यह भी आश्वासन दिया कि वह देशभर में मरीजों, अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को किफायती और उच्च गुणवत्ता वाले मेड इन इंडिया डिवाइस उपलब्ध कराएगी।


जीएसटी सुधार का व्यापक प्रभाव

जीएसटी सुधार के साथ, 12 प्रतिशत टैक्स वाली अधिकांश दवाएं अब केवल 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आ गई हैं।


इसके अलावा, कैंसर, जेनेटिक और दुर्लभ बीमारियों तथा हृदय रोगों के लिए 36 महत्वपूर्ण जीवनरक्षक दवाओं को पूरी तरह से छूट दी गई है।


हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स में बदलाव

जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम, ग्लूकोमीटर और चश्मे पर टैक्स स्लैब को भी संशोधित किया है।


आईपीए का बयान

इंडियन फार्मास्यूटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि इससे मरीजों को सीधे बचत होगी और परिवारों पर बोझ कम होगा।


जैन ने कहा कि ये कदम भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगे, जिससे मरीजों को सीधे लाभ होगा और आवश्यक देखभाल तक पहुंच में सुधार होगा।


आईपीए की प्रतिबद्धता

उन्होंने कहा कि 23 प्रमुख रिसर्च-आधारित कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला आईपीए यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ये लाभ नागरिकों तक तेजी से और पारदर्शिता के साथ पहुंचे।