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जीएसटी काउंसिल की बैठक: टैक्स में संभावित बदलाव और प्रभाव

जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में भारत में टैक्स वसूली के तरीकों में महत्वपूर्ण बदलावों पर चर्चा की जाएगी। प्रस्तावित परिवर्तनों के तहत, कई सामान्य वस्तुओं पर टैक्स कम किया जा सकता है, जिससे उनकी कीमतें घट सकती हैं। वहीं, कुछ लक्जरी उत्पाद महंगे हो सकते हैं। जानें इस बैठक से क्या बदलाव संभव हैं और इसका आम जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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जीएसटी काउंसिल की बैठक: टैक्स में संभावित बदलाव और प्रभाव

जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक

जीएसटी काउंसिल की बैठक: भारत में टैक्स वसूली के तरीकों में बड़े बदलाव पर चर्चा के लिए जीएसटी काउंसिल की एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय बैठक आयोजित की जाएगी। ये परिवर्तन रोजमर्रा के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और लग्जरी उत्पादों की कीमतों पर असर डाल सकते हैं। वर्तमान में, भारत में चार स्लैब वाला जीएसटी सिस्टम है, जिसमें 5%, 12%, 18% और 28% शामिल हैं। लेकिन अब सरकार इसे दो स्लैब, 5% और 18% में बदलने की योजना बना रही है।


इस बदलाव के दौरान लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या-क्या परिवर्तन हो सकते हैं। यदि इन प्रस्तावित परिवर्तनों को मंजूरी मिल जाती है, तो कई सामान्य वस्तुओं पर जो वर्तमान में 12% टैक्स के दायरे में हैं, उन्हें 5% टैक्स में लाया जा सकता है।


सस्ती होने वाली वस्तुएं

ये चीजें हो सकती हैं सस्ती: 



  • घी


  • सूखे मेवे और मेवे


  • पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर


  • नमकीन (टेस्टी नाश्ता)


  • नॉन-एरेटेट ड्रिंक्स


  • मेडिसिन्स और मेडिकल 


  • दवाएँ और चिकित्सा इक्यूपमेंट्स


  • पेंसिल, छाते, साइकिल और हेयरपिन आदि



इलेक्ट्रॉनिक्स और कारों पर कटौती

इलेक्ट्रॉनिक्स और कारों पर भी होगी कटौती: 


इसके अलावा, टेलीविजन, वॉशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर और संभवतः एयर कंडीशनर और छोटी कारों पर 18% स्लैब लागू किया जा सकता है, जिससे ये पहले से भी सस्ते हो जाएंगे। पहले इन पर 28% टैक्स लगता था।


महंगे होने वाले उत्पाद

क्या महंगा हो सकता है?


कुछ लक्जरी उत्पाद और हानिकारक वस्तुएं महंगी हो सकती हैं, जैसे लक्जरी कारें, एसयूवी, तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट, महंगे कपड़े (2,500 से अधिक कीमत वाले), प्रीमियम हवाई जहाज के टिकट। इन पर 12% की जगह 18% जीएसटी लागू की जा सकती है। इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) के मामले में, सरकार क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, जिसके लिए नियमित ईवी पर 5% जीएसटी रखा जाएगा, लेकिन प्रीमियम ईवी पर अधिक टैक्स लग सकता है।


विशेषज्ञों के अनुसार, इन टैक्स परिवर्तनों से सरकार की आय लगभग 21 अरब डॉलर (1.85 लाख करोड़) कम हो सकती है। ध्यान दें कि जीएसटी, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा किया जाता है, इसलिए राज्यों को और अधिक नुकसान हो सकता है।