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जीएसटी दरों में बदलाव: राजस्व क्षति और केंद्र-राज्य संबंध

जीएसटी की 28% और 12% दरों को समाप्त करने से 46,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा। यह सवाल उठता है कि इस नुकसान की जिम्मेदारी किस पर होगी। क्या राज्यों को भी इसका बोझ उठाना पड़ेगा, या केंद्र सरकार मुआवजा देगी? जानें इस मुद्दे पर और क्या विचार किए जा रहे हैं और क्या सरकार आम लोगों से वसूली करने की योजना बना रही है।
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जीएसटी दरों में बदलाव: राजस्व क्षति और केंद्र-राज्य संबंध

जीएसटी दरों में बदलाव का प्रभाव

जीएसटी की 28% और 12% दरों को समाप्त करने से 46,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान होगा। इस नुकसान की जिम्मेदारी किस पर होगी? क्या राज्यों को भी इसका बोझ उठाना पड़ेगा? या केंद्र सरकार उन्हें मुआवजा देगी?


प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी के ढांचे में बदलाव की घोषणा की, लेकिन बिना किसी पूर्व सहमति के। अब जब नरेंद्र मोदी ने दिवाली का उपहार देने का ऐलान किया है, तो इसे लागू करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। पिछले हफ्ते, जीएसटी से संबंधित मंत्रियों के समूह ने केवल दो दरें (5% और 18%) रखने की सिफारिश की, जो जीएसटी काउंसिल को भेजी गई है। काउंसिल की बैठक 3-4 सितंबर को होगी, जहां निर्णय लेने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन इस बीच कई सवाल उठते हैं। वित्तीय समाचार पत्रों के अनुसार, 28% और 12% दरों को समाप्त करने से 46,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान होगा। इस नुकसान की जिम्मेदारी किस पर होगी?


क्या इसमें उन राज्य सरकारों को भी शामिल किया जाएगा, जिनकी सहमति पहले से नहीं ली गई? या केंद्र सरकार राज्य सरकारों के नुकसान की भरपाई करेगी? केंद्र का 2024-25 का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.8% के बराबर रहा था, और अधिकांश राज्य भी भारी घाटे में हैं। प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण की लोक-लुभावन योजनाओं ने पहले ही उन्हें वित्तीय संकट में डाल दिया है। इस स्थिति में, मुख्य प्रश्न यह है कि केंद्र कुल घाटे को भरने का क्या उपाय सुझाएगा?


यह भी ध्यान देने योग्य है कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर लगाए जा रहे प्रतिबंध से राजकोष को लगभग 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इन तथ्यों को जीएसटी के मौजूदा ढांचे को बनाए रखने के पक्ष में तर्क के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। जीएसटी को सरल बनाने की आवश्यकता है। बेहतर होगा कि पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क के बोझ से भी लोगों को राहत दी जाए। लेकिन साथ ही, राजस्व का प्रश्न भी महत्वपूर्ण है। इस पर स्पष्टता के अभाव में यह चिंता होती है कि कहीं राहत देने के साथ-साथ सरकार आम लोगों से ही वसूली न करने लगे!