जीएसटी रजिस्ट्रेशन में भ्रष्टाचार के आरोपों पर वित्त मंत्री का बयान

जीएसटी रजिस्ट्रेशन में भ्रष्टाचार का मामला
जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोपों ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। यह मामला तब और बढ़ गया जब एक प्रमुख टैक्स शिक्षक के वायरल पोस्ट के चलते केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
विनोद गुप्ता, जो वीजी लर्निंग डेस्टिनेशन के संस्थापक हैं और वित्त शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध नाम हैं, ने लिंक्डइन पर एक विस्तृत पोस्ट में बताया कि उन्हें और उनकी पत्नी को अपनी जॉइंट फर्म के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन संख्या प्राप्त करने में 20 दिन का इंतजार करना पड़ा।
रिश्वत देने का सुझाव
उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे रिश्वत देने के लिए तैयार होते, तो उन्हें जीएसटी नंबर जल्दी मिल जाता। इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी और कर अनुपालन विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया। अभिषेक राजा राम ने भी जीएसटी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उच्चस्तरीय हस्तक्षेप की मांग की।
उन्होंने X पर लिखा, "सीबीआईसी को जीएसटी रजिस्ट्रेशन में भ्रष्टाचार की वास्तविकता का कोई अंदाजा नहीं है। उनके अधिकारी इतने भ्रष्ट हैं कि विनोद गुप्ता जैसे व्यक्ति को भी अपनी निराशा व्यक्त करनी पड़ रही है। शीर्ष अधिकारियों को पंजीकरण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए ताकि देश को भ्रष्टाचार से बचाया जा सके।"
निर्मला सीतारमण का उत्तर
पोस्ट के वायरल होने के बाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने X पर उत्तर दिया। उन्होंने कहा, "करदाताओं की सेवा करना हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन ऐसा करते समय हमें ईमानदार और पारदर्शी होना चाहिए, क्योंकि यही तरीका है जिससे हम उनका विश्वास अर्जित करते हैं। मुझे विश्वास है कि जीएसटी बोर्ड और अधिकारी लोगों की समस्याओं का त्वरित और सावधानीपूर्वक उत्तर देंगे।"
सीबीआईसी की सफाई
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने स्पष्ट किया कि गुप्ता का आवेदन 26 मई को दिल्ली राज्य जीएसटी क्षेत्राधिकार के तहत दाखिल किया गया था, न कि केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों के पास। किराया समझौते में पदनाम की कमी के कारण एक प्रश्न उठाया गया था, जिसका जवाब गुप्ता ने अभी तक नहीं दिया। सीबीआईसी ने भ्रामक जानकारी फैलाने के खिलाफ चेतावनी भी दी।