जुएल ओराम ने राजनीति से लिया संन्यास, युवाओं को आगे लाने पर जोर

जुएल ओराम का संन्यास
जुएल ओराम का संन्यास: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है। ओडिशा के वरिष्ठ भाजपा नेता ने स्पष्ट किया है कि वह अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह घोषणा उन्होंने संबलपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान की, जिससे राज्य की राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। हालांकि, उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात भी कही।
पार्टी की जिम्मेदारियों को निभाने का वादा
पार्टी मुझे जो भी ज़िम्मेदारी देगी, मैं उसे निभाऊँगा
उन्होंने कहा कि अब वह चुनावी राजनीति से दूर रहेंगे। जुएल ओराम ने 8 बार लोकसभा और 2 बार विधानसभा चुनाव लड़ा है। अब उनका लक्ष्य पार्टी के लिए काम करना और युवाओं को आगे लाना है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी द्वारा दी गई किसी भी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि वह भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे।
संगठन के लिए काम करने की प्रतिबद्धता
मैं संगठन के लिए काम करता रहूँगा।
मीडिया से बातचीत में जुएल ओराम ने अपने निर्णय को दोहराया और कहा कि वह युवाओं को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। राज्यसभा सदस्य या राज्यपाल बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो भी वह संगठन के लिए काम करते रहेंगे।
जुएल ओराम की राजनीतिक यात्रा
जुआल उरांव के बारे में जानें
जुएल उरांव ओडिशा में भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेताओं में से एक हैं। उन्होंने 1998 से अब तक कई बार संसद में सुंदरगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है। 1999 में वह पहली बार जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री बने थे। 2024 में जब एनडीए तीसरी बार सत्ता में लौटा, तो उन्हें फिर से मंत्री पद मिला। उनके इस्तीफे को पार्टी में नई पीढ़ी को स्थान देने का संकेत माना जा रहा है।