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जेल लोक अदालत में सात अंडरट्रायल कैदियों को मिली रिहाई

जींद में आयोजित जेल लोक अदालत में सात अंडरट्रायल कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव मोनिका ने कैदियों की समस्याओं को सुना और समाधान के लिए जानकारी दी। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और राष्ट्रीय लोक अदालत की प्रभावशीलता के बारे में।
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जेल लोक अदालत में सात अंडरट्रायल कैदियों को मिली रिहाई

जेल लोक अदालत का आयोजन


(Jind News) जींद। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष यशवीर सिंह राठौर के मार्गदर्शन में बुधवार को जेल लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस अदालत में सात मामलों पर विचार किया गया, जिनमें से छह मामलों को अंडरगोन किया गया। यदि विचाराधीन बंदी पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो उन्हें रिहा करने का आदेश दिया गया।


प्राधिकरण की सचिव मोनिका ने जिला जेल का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के दौरान, उन्होंने कैदियों की समस्याओं को सुना और उनके समाधान के लिए जानकारी प्रदान की।


सीजेएम ने कैदियों से अपील की कि यदि उन्हें अपने मामलों के लिए वकील की आवश्यकता है, तो वे मुफ्त कानूनी सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जेल प्रशासन के माध्यम से या न्याय रक्षक के जरिए आवेदन भेजना होगा। उन्होंने बताया कि नालसा हेल्पलाइन नंबर 15100 पर कानूनी जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है।


राष्ट्रीय लोक अदालत की प्रभावशीलता

राष्ट्रीय लोक अदालत काफी कारगर


प्राधिकरण की सचिव ने बताया कि आपसी समझौते से हल होने वाले मामलों में राष्ट्रीय लोक अदालत बहुत प्रभावी साबित हो रही है। इसमें सस्ता और सुलभ न्याय मिलता है, और प्रक्रिया सरल होती है।


इसमें दोनों पक्षों की सहमति से मामलों का निपटारा किया जाता है, जिससे लोगों का समय और धन बचता है। इसमें न तो किसी की जीत होती है और न ही हार।


राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन, मोटर एक्सीडेंट क्लेम, एनआई एक्ट, फौजदारी, रेवेन्यू, वैवाहिक विवाद, और मोटर व्हीकल चालान जैसे मामलों का निपटारा किया जाएगा।