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झारखंड का छिन्नमस्तिका देवी मंदिर: आस्था का अद्भुत केंद्र

झारखंड के रजरप्पा में स्थित छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर एक अद्भुत शक्तिपीठ है, जहां भक्त बिना सिर वाली देवी की पूजा करते हैं। यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना है और इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ माना जाता है। यहां भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए बकरों की बलि देते हैं, विशेषकर नवरात्रि के दौरान। जानें इस मंदिर की अनोखी परंपराओं और देवी की अद्भुत मूर्ति के बारे में।
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झारखंड का छिन्नमस्तिका देवी मंदिर: आस्था का अद्भुत केंद्र

छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर: एक शक्तिपीठ

रांची। झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर रजरप्पा में स्थित छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर एक प्रमुख शक्तिपीठ है। यहां भक्त बिना सिर वाली देवी की पूजा करते हैं और मानते हैं कि देवी उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। यह मान्यता है कि असम में स्थित मां कामाख्या मंदिर सबसे बड़ा शक्तिपीठ है, जबकि रजरप्पा का यह मंदिर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ है। भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित यह मंदिर आस्था का प्रतीक है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्तों की संख्या में काफी वृद्धि होती है। आम दिनों में यहां लगभग दो सौ बकरों की बलि दी जाती है, जबकि नवरात्रि में यह संख्या तीन गुना बढ़ जाती है। भक्तों को यहां मटन प्रसाद के रूप में दिया जाता है।


मंदिर का प्राचीन इतिहास

यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना माना जाता है और देवी छिन्नमस्तिका के लिए प्रसिद्ध है। यहां देवी को प्रेम के देवता कामदेव और प्रेम की देवी रति के साथ नग्न अवस्था में दर्शाया गया है। मंदिर की तांत्रिक शैली की वास्तुकला इसे और भी खास बनाती है। देवी के कटे सिर को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कहानी के अनुसार, जब देवी अपनी सहेलियों के साथ गंगा नदी में स्नान कर रही थीं, तो उनकी सहेलियों की भूख बढ़ गई। भूख से परेशान होकर देवी ने अपना सिर काटकर उन्हें रक्त दिया।


शत्रुओं पर विजय के लिए पूजा

छिन्नमस्तिका देवी की पूजा विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। देवी का उग्र रूप तंत्र-मंत्र की क्रियाओं में भी पूजा का कारण है। भक्त बलि चढ़ाकर और तंत्र साधना के माध्यम से अपनी इच्छाओं को पूरा करते हैं। मंदिर के भीतर देवी की अद्भुत मूर्ति कमल के फूल पर स्थापित है, जिसमें देवी के तीन आंखें हैं। दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर पकड़े हुए हैं। देवी के पैरों के नीचे कामदेव और रति विपरीत मुद्रा में विराजमान हैं।


बकरों की बलि: एक अनोखी परंपरा

रजरप्पा के छिन्नमस्तिका देवी मंदिर में बकरों की बलि दी जाती है, खासकर दुर्गा पूजा और नवरात्रि के दौरान। भक्त अपनी मन्नत पूरी करने के लिए बलि देते हैं। हालांकि, यह आश्चर्यजनक है कि इतनी बड़ी संख्या में बलि दी जाती है, लेकिन मंदिर के आसपास बकरों का कहीं पता नहीं चलता।


कैसे पहुंचे छिन्नमस्तिका देवी के दर्शन के लिए

फ्लाइट से: छिन्नमस्तिका मंदिर के निकटतम एयरपोर्ट रांची है, जो लगभग 70 किमी दूर है। रांची पहुंचने के बाद, आप कैब या बस लेकर रजरप्पा जा सकते हैं।
ट्रेन से: रजरप्पा पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका रामगढ़ रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 28 किमी दूर है। स्टेशन से आप बस या टैक्सी लेकर रजरप्पा जा सकते हैं।