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झारखंड के 48 प्रवासी मजदूर ट्यूनिशिया में फंसे, मदद की अपील

झारखंड के 48 प्रवासी मजदूर ट्यूनिशिया में फंसे हुए हैं और उन्होंने मदद की गुहार लगाई है। इन श्रमिकों का कहना है कि उन्हें पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है और उनकी स्थिति बेहद खराब है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। जानें इस संकट की पूरी कहानी और श्रमिकों की अपील।
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झारखंड के 48 प्रवासी मजदूर ट्यूनिशिया में फंसे, मदद की अपील

ट्यूनिशिया में फंसे झारखंड के मजदूर

ट्यूनिशिया में झारखंड राज्य के लगभग 48 प्रवासी श्रमिकों के फंसे होने की जानकारी सामने आई है। ये श्रमिक हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिलों से हैं। उन्होंने एक वीडियो जारी कर सहायता की गुहार लगाई है। इस मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया है।


मजदूरों की दयनीय स्थिति

वीडियो में श्रमिकों ने बताया कि उनकी स्थिति बहुत खराब है। कंपनी ने उनकी सैलरी रोक दी है और उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। वे केवल अपने घर लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।


सैलरी न मिलने का आरोप

फंसे हुए श्रमिकों का कहना है कि उन्हें पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला है और उनसे ओवरटाइम काम कराया जा रहा है।


मुख्यमंत्री की कार्रवाई

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रम विभाग को निर्देश दिया है कि वे श्रमिकों की मदद करें और ट्यूनिशिया में भारतीय एंबेसी से भी सहायता की अपील की है।


मंत्री का बयान

झारखंड के श्रम नियोजन और कौशल विकास मंत्री संजय प्रसाद यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को श्रमिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।


मजदूरों का अनुभव

एक श्रमिक ने बताया कि उन्हें भारत से यह कहकर लाया गया था कि यह एक कंपनी है, लेकिन यहां आने पर पता चला कि वे प्रेम पावर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (पीपीसीएल) के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत में एग्रीमेंट पेपर की मांग करने पर बताया गया कि यह वहां पहुंचने के बाद मिलेगा।


काम के घंटे और धमकी

मजदूरों ने कहा कि उन्हें 8 घंटे की ड्यूटी के लिए लाया गया था, लेकिन यहां 12 घंटे काम कराया जा रहा है। चार महीने से सैलरी न मिलने पर उन्हें धमकी दी जा रही है कि यदि वे सैलरी मांगेंगे तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।


वतन वापसी की अपील

वे सभी 48 श्रमिक झारखंड और केंद्र सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनकी मदद की जाए ताकि वे अपने वतन लौट सकें।