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झारखंड के नेता शिबू सोरेन का निधन: पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

झारखंड के प्रमुख नेता और झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा और उनके योगदान को याद किया जा रहा है। जानें उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षण और झारखंड को अलग राज्य बनाने की उनकी लड़ाई के बारे में।
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झारखंड के नेता शिबू सोरेन का निधन: पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

शिबू सोरेन का निधन

शिबू सोरेन का निधन: झारखंड की राजनीति के प्रमुख नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में किडनी की समस्याओं के चलते भर्ती थे। सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना से झारखंड समेत पूरे देश में शोक की लहर फैल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सर गंगा राम अस्पताल जाकर शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की और संवेदना व्यक्त की।


प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'मैं श्री शिबू सोरेन जी को श्रद्धांजलि देने सर गंगा राम अस्पताल गया। उनके परिवार से भी मिला। मेरी संवेदनाएं हेमंत जी, कल्पना जी और श्री शिबू सोरेन जी के समर्थकों के साथ हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'श्री शिबू सोरेन जी एक जननेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। उनके निधन से मैं दुःखी हूं। इस दुखद समय में हम उनके प्रियजनों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हैं। ओम शांति.'


शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा

दिशोम गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध: शिबू सोरेन को 'दिशोम गुरुजी' के नाम से जाना जाता था। वे झामुमो के संस्थापक संरक्षक रहे और झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आदिवासी अधिकारों के लिए उनका संघर्ष प्रेरणादायक रहा। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था, और उन्होंने 18 वर्ष की आयु में 'संथाल नवयुवक संघ' की स्थापना की थी।


झारखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई

झामुमो की सह-स्थापना: 1972 में, उन्होंने ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सह-स्थापना की। यह पार्टी झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने और आदिवासियों की भूमि की रक्षा के लिए बनाई गई थी। झामुमो की यह लड़ाई अंततः 2000 में झारखंड राज्य के गठन के साथ सफल हुई।


मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यकाल

मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल: शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 2 मार्च से 12 मार्च 2005 तक केवल 10 दिनों का रहा। इसके बाद वे 2008 से 2009 और फिर 2009 से 2010 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा, वे तीन बार केंद्रीय कोयला मंत्री भी बने।


स्वास्थ्य समस्याएं

बीमारी का सामना: शिबू सोरेन पिछले कुछ समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। किडनी संबंधी समस्याओं के अलावा, उन्हें छह सप्ताह पहले स्ट्रोक भी आया था और अंतिम दिनों में वे जीवन रक्षक प्रणाली पर थे।


परिवार और राजनीतिक विरासत

परिवार: उनके परिवार में पत्नी किस्कू, तीन बेटे दुर्गा, हेमंत और बसंत, और एक बेटी अंजलि शामिल हैं। उनके सबसे छोटे बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।