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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन 81 वर्ष की आयु में हुआ। वे लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। जानें उनके जीवन, संघर्ष और राजनीतिक सफर के बारे में।
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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन

81 वर्ष की आयु में निधन


झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन : नई दिल्ली में, झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का निधन हो गया। उनकी उम्र 81 वर्ष थी। हाल ही में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया था, जिसके कारण उनका एक हिस्सा पैरालाइज हो गया था। इसके बाद उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।


अस्पताल में उनकी देखभाल के लिए न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञों की टीम मौजूद थी। उनकी स्थिति गंभीर बनी रही और आज सुबह उनका निधन हो गया। उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर इस दुखद समाचार की जानकारी दी। शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी की बीमारी से ग्रसित थे और पिछले एक वर्ष से डायलिसिस पर थे। इसके अलावा, वे डायबिटीज और हार्ट बायपास सर्जरी से भी पीड़ित थे।


सीएम बनने का सफर

2 मार्च 2005 को बने पहले सीएम


शिबू सोरेन ने 2 मार्च 2005 को पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्हें केवल दस दिन में इस्तीफा देना पड़ा। फिर 27 अगस्त 2008 को वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, इस बार वे विधायक नहीं थे। उन्हें छह महीने के भीतर चुनाव जीतकर विधानसभा में लौटना था। 2009 में तमाड़ विधानसभा में उपचुनाव हुआ, जिसमें वे लगभग 9 हजार वोटों से हार गए। अंततः उन्हें फिर से इस्तीफा देना पड़ा। शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक थे और यूपीए के पहले कार्यकाल में कोयला मंत्री भी रह चुके थे। हालांकि, चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया।


जीवन की कठिनाइयाँ

बचपन से संघर्ष का आरंभ


शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष से भरा रहा। जब वे केवल 13 वर्ष के थे, तब उनके पिता की हत्या महाजनों द्वारा कर दी गई। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर महाजनों के खिलाफ संघर्ष करने का निर्णय लिया। 1970 में उन्होंने महाजनों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई और धान कटनी आंदोलन की शुरुआत की। सूदखोरों के खिलाफ उनके इस आंदोलन ने उन्हें चर्चा में ला दिया, लेकिन इससे उन्होंने महाजनों को अपना दुश्मन बना लिया।