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झारखंड में उग्रतारा मंदिर में 16 दिन का अनोखा नवरात्रि उत्सव

झारखंड के लातेहर में स्थित उग्रतारा मंदिर में नवरात्रि का उत्सव 16 दिनों तक मनाया जाता है, जो इसे अन्य स्थानों से अलग बनाता है। इस प्राचीन परंपरा में भक्तों द्वारा विशेष प्रसाद अर्पित किया जाता है और विजयादशमी पर विशेष अनुष्ठान होते हैं। जानें इस अनोखी परंपरा के बारे में और कैसे यह उत्सव श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।
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झारखंड में उग्रतारा मंदिर में 16 दिन का अनोखा नवरात्रि उत्सव

उग्रतारा मंदिर नवरात्रि: झारखंड में विशेष नवरात्रि उत्सव!

लातेहर, झारखंड: नवरात्रि का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन झारखंड के लातेहर में यह उत्सव कुछ अलग ही है।


यहां मां उग्रतारा मंदिर में नवरात्रि केवल 9 दिन नहीं, बल्कि 16 दिन तक मनाई जाती है। यह प्राचीन परंपरा इस वर्ष भी सोमवार से आरंभ हो चुकी है। रांची से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर भक्ति और श्रद्धा का अद्वितीय केंद्र है। आइए, इस विशेष परंपरा के बारे में जानते हैं।


उग्रतारा मंदिर में 16 दिन की दुर्गा पूजा का अनोखा रिवाज

मां उग्रतारा मंदिर के पुजारी पंडित गोविंद वल्लभ मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर में सैकड़ों वर्षों से 16 दिवसीय नवरात्रि पूजा की परंपरा चली आ रही है। इस वर्ष भी भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना आरंभ हो चुकी है। पूजा के दौरान भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होती।


भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद, जिसमें विशेष रूप से नारियल और मिश्री शामिल होती है, पुजारी गर्भगृह में मां को अर्पित करते हैं। इस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।


विजयादशमी पर विशेष अनुष्ठान

पंडित मिश्रा ने बताया कि 16 दिन की पूजा का समापन विजयादशमी के दिन होता है। इस दिन मां भगवती को पान अर्पित किया जाता है।


मान्यता है कि जब तक पान उनके आसन से नहीं गिरता, तब तक मां विसर्जन की अनुमति नहीं देतीं। पान गिरने के बाद ही विसर्जन की रस्में आरंभ होती हैं। पूजा की शुरुआत में कलश स्थापना की जाती है, और 21 सितंबर को मां गौरा के आगमन पर बकरे की बलि दी जाएगी। ये अनुष्ठान इस पूजा को और भी खास बनाते हैं।