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टीबी के खिलाफ नई खोज: जीवाणु की झिल्ली में छिपा है प्रतिरोध का रहस्य

आईआईटी बॉम्बे के हालिया अध्ययन ने टीबी बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक प्रतिरोध के रहस्य को उजागर किया है। शोध में पाया गया है कि बैक्टीरिया की झिल्ली में लिपिड की संरचना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह अध्ययन टीबी के उपचार में नई रणनीतियों के विकास की संभावना को दर्शाता है। जानें कैसे बैक्टीरिया अपनी वसा परत को बदलकर औषधियों से बचते हैं और क्या नई उपचार विधियाँ प्रभावी हो सकती हैं।
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टीबी के खिलाफ नई खोज: जीवाणु की झिल्ली में छिपा है प्रतिरोध का रहस्य

टीबी: एक पुरानी स्वास्थ्य चुनौती

क्षय रोग, जिसे आमतौर पर टीबी के नाम से जाना जाता है, दशकों से एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। हाल ही में आईआईटी बॉम्बे द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया अपनी वसा परत को बदलकर एंटीबायोटिक उपचार से बचने में सक्षम है।


टीबी के बढ़ते मामले

हालांकि प्रभावी एंटीबायोटिक्स और टीकाकरण अभियानों के बावजूद, टीबी आज भी मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। 2023 में, लगभग 1 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हुए और 12 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई। भारत में, 2024 में 26 लाख से अधिक रोगियों की पहचान की गई।


अध्ययन की प्रमुख खोजें

केमिकल साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में यह पता चला कि बैक्टीरिया की झिल्ली में छिपा रहस्य हो सकता है। ये झिल्ली वसा या लिपिड से बनी होती हैं, जो कोशिकाओं की सुरक्षा करती हैं। शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया को दो अलग-अलग स्थितियों में संवर्धित किया: सक्रिय अवस्था और प्रसुप्त अवस्था।


औषधियों की प्रभावशीलता

जब बैक्टीरिया को चार सामान्य टीबी औषधियों के संपर्क में लाया गया, तो यह पाया गया कि प्रसुप्त बैक्टीरिया को मारने के लिए आवश्यक औषधियों की मात्रा सक्रिय बैक्टीरिया की तुलना में दो से दस गुना अधिक थी। प्रोफेसर शोभना कपूर ने बताया कि यह परिवर्तन जेनेटिक म्यूटेशन के कारण नहीं हुआ, बल्कि बैक्टीरिया की झिल्ली की संरचना से संबंधित है।


लिपिड की भूमिका

शोधकर्ताओं ने 270 से अधिक विशिष्ट लिपिड अणुओं की पहचान की। सक्रिय बैक्टीरिया की झिल्ली शिथिल और तरल होती है, जबकि प्रसुप्त बैक्टीरिया की झिल्ली कठोर और संगठित होती है। प्रोफेसर कपूर ने कहा कि लिपिड बैक्टीरिया के जीवित रहने और औषधियों के प्रति प्रतिरोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


नई उपचार रणनीतियाँ

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि रिफाब्यूटिन सक्रिय कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश कर सकता है, लेकिन प्रसुप्त कोशिकाओं की बाहरी झिल्ली को पार करना कठिन है। प्रोफेसर कपूर ने सुझाव दिया कि यदि पुरानी औषधियों को एक ऐसे अणु के साथ संयोजित किया जाए जो बाहरी झिल्ली को कमजोर कर दे, तो इन औषधियों का प्रभाव बेहतर हो सकता है।