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ट्रंप का परमाणु परीक्षण का आदेश, 33 साल बाद अमेरिका की नई पहल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेंटागन को परमाणु हथियारों के परीक्षण की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है। यह आदेश 33 साल बाद अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो चीन और रूस के साथ समान स्तर पर परीक्षण करने की आवश्यकता को दर्शाता है। ट्रंप का यह निर्णय वैश्विक स्तर पर नई परमाणु प्रतिस्पर्धा की आशंका को बढ़ा सकता है। जानें इस निर्णय के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
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ट्रंप का परमाणु परीक्षण का आदेश, 33 साल बाद अमेरिका की नई पहल

अमेरिका का परमाणु परीक्षण का निर्णय

वॉशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) को तुरंत परमाणु हथियारों के परीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। उनका मानना है कि ये परीक्षण चीन और रूस के स्तर पर होने चाहिए। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परमाणु परीक्षण किया था। ट्रंप ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में कहा कि अन्य देशों द्वारा किए जा रहे परमाणु परीक्षणों को देखते हुए उन्होंने युद्ध विभाग को समान आधार पर परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है।


ट्रंप का बयान में उन्होंने रूस और चीन का विशेष रूप से उल्लेख किया, यह बताते हुए कि वर्तमान में रूस दूसरे स्थान पर और चीन तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच वर्षों में दोनों देश बराबरी पर आ सकते हैं। यह घोषणा उस समय आई जब ट्रंप दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले थे।


यह ध्यान देने योग्य है कि 1996 में ‘कम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी’ (CTBT) के तहत भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर वैश्विक प्रतिबंध लगाया गया था। अमेरिका और चीन ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसे अभी तक औपचारिक स्वीकृति नहीं मिली है।


पूर्ण परमाणु परीक्षण (फुल न्यूक्लियर वेपन टेस्ट) में वास्तविक परमाणु बम का विस्फोट किया जाता है, जिससे उसकी क्षमता, विकिरण प्रभाव और तकनीकी दक्षता का आकलन किया जा सके। ऐसे परीक्षण आमतौर पर भूमिगत या वायुमंडल में किए जाते हैं, लेकिन इनसे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने का खतरा होता है।


अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को नेवादा में परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने की घोषणा की थी। रूस और चीन ने भी 1990 के दशक के बाद से परीक्षण रोक दिए थे। ट्रंप द्वारा परीक्षण फिर से शुरू करने का संकेत देने से वैश्विक स्तर पर नई परमाणु प्रतिस्पर्धा की आशंका बढ़ गई है।