ट्रंप के दावों पर भारत का स्पष्ट जवाब: संघर्षविराम में कोई तीसरा पक्ष नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का श्रेय अपने ऊपर लिया है, जिसे भारत ने बार-बार खारिज किया है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से लिया गया था। अमेरिकी प्रशासन ने अदालत में ट्रंप के दावों का समर्थन किया है, जबकि भारतीय विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया है कि संघर्षविराम सीधे भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच बातचीत का परिणाम था। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी।
May 29, 2025, 11:32 IST
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भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पर ट्रंप का दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह कहते आ रहे हैं कि उनके कारण भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम संभव हुआ। भारत ने इस दावे को बार-बार खारिज किया है, यह स्पष्ट करते हुए कि दोनों देशों ने आपसी सहमति से यह निर्णय लिया और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। अमेरिका में कई नेताओं और पूर्व अधिकारियों ने भी इस बात पर ध्यान दिलाया है कि ट्रंप को हर चीज का श्रेय लेने की आदत है, इसलिए वह ऐसा कह रहे हैं। जब ट्रंप इस मामले में अकेले पड़ते दिखे, तो उनके प्रशासन ने उनका समर्थन किया। अमेरिकी अधिकारियों ने अदालत में कहा कि राष्ट्रपति की व्यापारिक शक्तियों पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से संघर्ष का खतरा शामिल है, जिससे लाखों लोगों की जान को खतरा हो सकता है।
अमेरिकी अधिकारियों का समर्थन
अमेरिकी अधिकारियों ने ट्रंप के दावे को दोहराते हुए अदालत में कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की थी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि संघर्षविराम तब हुआ जब राष्ट्रपति ने हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को अमेरिका में व्यापारिक पहुँच की पेशकश की। ट्रंप ने पहले कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार रोकने की धमकी दी थी ताकि वे संघर्षविराम के लिए सहमत हों।
ट्रंप के मंत्रिमंडल का समर्थन
ट्रंप के दावे का समर्थन उनके मंत्रिमंडल के चार प्रमुख सदस्यों— विदेश मंत्री मार्को रूबियो, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट, वाणिज्य मंत्री हावर्ड लटनिक और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ली ग्रियर द्वारा हस्ताक्षरित घोषणाओं में किया गया है। ये घोषणाएँ अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में दायर की गई हैं। यह अदालत "लिबरेशन डे टैरिफ्स" को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। न्यूयॉर्क स्थित इस अदालत से अगले कुछ हफ्तों में निर्णय की अपेक्षा की जा रही है।
संघर्षविराम का महत्व
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि यह संघर्षविराम केवल तब संभव हो पाया जब राष्ट्रपति ट्रंप ने हस्तक्षेप किया और दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापारिक पहुँच की पेशकश की ताकि एक पूर्ण युद्ध को रोका जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित करने वाला कोई भी निर्णय भारत और पाकिस्तान को ट्रंप के प्रस्ताव की वैधता पर संदेह करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और लाखों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध
वाणिज्य मंत्री लटनिक ने बताया कि अमेरिका ट्रंप द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों के चलते चीन के साथ 90-दिन का समझौता करने में सक्षम रहा, जिससे अमेरिकी निर्यात पर चीनी शुल्कों में कमी आई। उन्होंने कहा कि भारत भी वर्तमान में अमेरिका के साथ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है। विदेश मंत्री रूबियो ने अपनी घोषणा में कहा कि कोई भी प्रतिकूल निर्णय अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
भारतीय विदेश मंत्री का बयान
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने ट्रंप के सभी दावों को खारिज करते हुए कहा था कि अमेरिकी नेताओं समेत खाड़ी देशों के कुछ नेताओं ने दोनों देशों से बात की थी, लेकिन 10 मई को हुआ संघर्षविराम सीधे भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच बातचीत का परिणाम था।
कांग्रेस का बयान
अमेरिकी प्रशासन की ओर से अदालत में कही गई बातों को भारत में विपक्षी दल कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि वह ट्रंप के दावों पर खुद चुप्पी तोड़ें। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि देश ट्रंप के दावों की सच्चाई जानना चाहता है।