ट्रंप के नए टैरिफ का भारत के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स पर प्रभाव

ट्रंप का टैरिफ निर्णय
ट्रंप टैरिफ: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित सामानों पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम भारत के लगभग 5.4 लाख करोड़ रुपये के निर्यात को प्रभावित कर सकता है। नए टैरिफ के लागू होने से अमेरिका में भारतीय उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी। इस स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या इसका असर ऑटोमोबाइल उद्योग पर भी पड़ेगा। इसका उत्तर है हां।
ऑटो पार्ट्स और मशीनरी पर प्रभाव
अमेरिका भारत के ऑटो पार्ट्स का सबसे बड़ा बाजार है। वित्तीय वर्ष 25 में कुल निर्यात का 32% हिस्सा अमेरिका को गया। अब अनुमान है कि लगभग 7 बिलियन डॉलर (करीब 61,000 करोड़ रुपये) के सालाना ऑटो पार्ट्स निर्यात में से 30,000 करोड़ रुपये का हिस्सा प्रभावित हो सकता है, जो कि लगभग 50 प्रतिशत है।
भारत ने 2024 में अमेरिका को 19.16 बिलियन डॉलर (लगभग 1.68 लाख करोड़ रुपये) के इंजीनियरिंग सामान का निर्यात किया, जिसमें स्टील उत्पाद, मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और अन्य औद्योगिक उपकरण शामिल हैं। पहले अमेरिका ने कारों, छोटे ट्रकों और उनके पुर्जों पर 25% शुल्क और वाणिज्यिक वाहनों के पुर्जों पर 10% शुल्क लगाया था। लेकिन नए टैरिफ के लागू होने के बाद स्थिति में बदलाव आ गया है। इससे कारों की कीमतों में वृद्धि होगी।
इससे इंजीनियरिंग सामान बनाने वाले छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वे इस क्षेत्र के 40% निर्यात में योगदान करते हैं। इसके परिणामस्वरूप हजारों नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है।
भारत के विकल्प
मशीनरी पर बढ़ते टैरिफ के बाद, भारत यूरोप (जर्मनी, यूके) और ASEAN देशों (सिंगापुर, मलेशिया) जैसे बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। इसके अलावा, सरकार इंजीनियरिंग सामान के लिए PLI योजना का विस्तार कर सकती है ताकि उत्पादन लागत कम हो सके और कंपनियां अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रख सकें।
इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन्स पर प्रभाव
भारत ने 2024 में अमेरिका को 14 बिलियन डॉलर (लगभग 1.23 लाख करोड़ रुपये) के इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात किया, जिसमें स्मार्टफोन (विशेषकर iPhone) का बड़ा हिस्सा शामिल है। अप्रैल 2024 तक इलेक्ट्रॉनिक्स पर औसतन 0.41% टैरिफ लगता था।
फिलहाल इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट मिली हुई है। जब तक अमेरिकी ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 का हिस्सा लागू नहीं होता, तब तक iPhone और Samsung जैसे स्मार्टफोन्स के निर्यात पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन यदि Section 232 टैरिफ के तहत 50% शुल्क लगाया गया, तो अमेरिका में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इस स्थिति में कंपनियां अमेरिका को भेजे जाने वाले उत्पादों का निर्माण किसी अन्य देश में करने पर विचार कर सकती हैं।
सरकार के कदम
इस मामले में, सरकार स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर निर्यात को टैरिफ से छूट दिलाने के लिए अमेरिका से बातचीत कर सकती है। इसके साथ ही, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार को मजबूत करने और नए ब्रांड विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
ट्रंप का यह निर्णय भारत के लिए एक बड़ा झटका है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र तुरंत प्रभावित होगा, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स पर खतरा फिलहाल टला हुआ है।