ट्रंप के बयान पर मोदी का मौन: भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर सवाल

ट्रंप के बयान और मोदी का मौन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की एक विशेषता उनके डोनाल्ड ट्रंप के साथ संबंध हैं, जिसमें उन्होंने ट्रंप सरकार के समर्थन में कई बार बयान दिए हैं। हाल ही में ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को 'मृत' बताया, जिससे सवाल उठता है कि क्या यह सच है या झूठ? यदि यह झूठ है, तो मोदी को ट्रंप के इस बयान का खुलकर जवाब देना चाहिए था कि भारत की अर्थव्यवस्था जीवित है और विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
मोदी पिछले ग्यारह वर्षों से भारत के 140 करोड़ नागरिकों को विकास की दिशा में बढ़ने का आश्वासन दे रहे हैं। वे बार-बार कहते हैं कि भारत अब आर्थिक और सैन्य महाशक्ति के स्वर्णकाल में है।
हालांकि, ट्रंप ने 10 मई 2025 के बाद भारत को वैश्विक स्तर पर चुनौती दी है। उन्होंने भारत की सैन्य क्षमता का मजाक उड़ाते हुए कहा कि भारत ने कई विमान खो दिए हैं। इसके बावजूद, मोदी ने लोकसभा में दो घंटे के भाषण में ट्रंप के झूठ का खंडन नहीं किया।
क्या मोदी को ट्रंप के इस बयान का जवाब नहीं देना चाहिए? यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्रंप के सामने अपने देश का पक्ष मजबूती से रखा था। जबकि मोदी चुप हैं और ट्रंप के झूठ को सच मानने पर मजबूर हैं।
भारत की स्थिति आज ऐसी है कि पाकिस्तान की आवाज वैश्विक राजनीति में सुनाई दे रही है। 2014 में पाकिस्तान की स्थिति और आज की स्थिति में बड़ा अंतर है। चीन ने भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और पाकिस्तान के सेना प्रमुख ट्रंप के साथ लंच कर रहे हैं।
क्या यह सही नहीं है कि भारत में सत्य 'मृत' हो चुका है? संसद में किसी भी नेता के मुंह से वह सत्य नहीं निकलता जो दुनिया मानती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन क्या यह असली लोकतंत्र है या केवल एक खोखा है? चुनाव हैं, लेकिन चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी 15 अगस्त के बाद ट्रंप के साथ व्यापारिक समझौता करेंगे, क्योंकि ट्रंप के पास गौतम अडानी जैसे प्रभावशाली लोग हैं। यह स्थिति भारत के लिए चिंताजनक है, जहां पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत की सीमाओं पर ठोस मोर्चा बना रहे हैं।