ट्रंप ने 12 देशों के लिए टैरिफ पत्रों पर किए हस्ताक्षर, व्यापार समझौते की उम्मीद

टैरिफ पत्रों की तैयारी
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 देशों के लिए टैरिफ पत्रों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिन्हें सोमवार को भेजने की योजना है।
राष्ट्रपति ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जिन देशों को पत्र भेजे जाएंगे, उनके नाम सोमवार को सार्वजनिक किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “मैंने कुछ पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये सोमवार को भेजे जाएंगे, संभवतः 12 पत्र। हर पत्र में अलग-अलग टैरिफ और रकम होगी। एक पत्र भेजना आसान होता है।”
रेसिप्रोकल टैरिफ का संकेत
ट्रंप ने यह भी बताया कि कुछ देशों पर 'रेसिप्रोकल टैरिफ' को 70 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जिसे 1 अगस्त से लागू करने की उम्मीद है।
अप्रैल में, राष्ट्रपति ने अधिकांश आयातित सामानों पर 10 प्रतिशत का बेस टैरिफ घोषित किया था, जबकि कुछ देशों, जैसे चीन के लिए, उच्च दरें निर्धारित की गई थीं। हालांकि, इन बढ़े हुए टैरिफ को 9 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया था।
भारत का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल
इस बीच, भारत का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल बिना किसी अंतिम समझौते के वाशिंगटन से लौट आया है, जिसकी अगुवाई मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल कर रहे थे। यह समझौता अमेरिका द्वारा उठाए जा रहे संवेदनशील मुद्दों, जैसे कृषि और डेयरी उत्पादों के व्यापार पर केंद्रित था।
फिर भी, एक सकारात्मक संभावना बनी हुई है। उम्मीद है कि 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले दोनों देशों के बीच एक अंतरिम द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो सकता है।
भारत की व्यापार नीति
भारतीय दल 26 जून से 2 जुलाई तक अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर चर्चा करने के लिए वाशिंगटन में था। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत किसी डेडलाइन के दबाव में 'फ्री ट्रेड एग्रीमेंट' पर हस्ताक्षर करने में जल्दबाजी नहीं करेगा।
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान, मंत्री गोयल ने कहा कि भारत राष्ट्रीय हित में व्यापार समझौते के लिए तैयार है, लेकिन वह कभी भी डेडलाइन के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत नहीं करता है।
अमेरिका की मांग और भारत की चिंताएं
अमेरिका अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए व्यापक बाजार की मांग कर रहा है, जो भारत के छोटे किसानों की आजीविका के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत 9 जुलाई से पहले एक अंतरिम समझौता करके राष्ट्रपति ट्रंप के 26 प्रतिशत टैरिफ से छूट पाने की कोशिश कर रहा है।
इसके अलावा, भारत टेक्सटाइल, लेदर और जूते जैसे श्रम-गहन निर्यात के लिए महत्वपूर्ण टैरिफ छूट पर भी जोर दे रहा है।