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ट्रंप ने 12 देशों को भेजे व्यापार पत्र, टैरिफ युद्ध की तैयारी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 देशों को व्यापार पत्र भेजने की योजना बनाई है, जिससे टैरिफ युद्ध की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि ये पत्र सोमवार को भेजे जाएंगे और इससे कई देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। भारत के साथ व्यापार संबंधों पर भी इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो सकता है।
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ट्रंप ने 12 देशों को भेजे व्यापार पत्र, टैरिफ युद्ध की तैयारी

ट्रंप का टैरिफ युद्ध की ओर कदम


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे एक बार फिर टैरिफ युद्ध की शुरुआत करने की योजना बना रहे हैं। शुक्रवार, 4 जुलाई, 2025 को, ट्रंप ने बताया कि उन्होंने व्यापार से संबंधित पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिन्हें टैरिफ रोकने के लिए निर्धारित समय सीमा समाप्त होने से पहले संबंधित देशों को भेजा जाएगा।


पत्रों की संख्या और वितरण

एयरफोर्स वन पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्होंने लगभग 12 पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिन्हें सोमवार, 7 जुलाई, 2025 को भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इन पत्रों को किस देशों को भेजा जाएगा, इसकी जानकारी उसी दिन दी जाएगी।


चीन और यूके के साथ व्यापार संबंध

ट्रंप ने कहा कि सभी देशों को नोटिस भेजना 15 अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत करने से कहीं अधिक सरल है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन के साथ ऐसा करने से दोनों पक्षों को लाभ हुआ है। इसी तरह, चीन के साथ भी व्यापार संबंधों में सुधार हुआ है।


उन्होंने कहा कि एक पत्र भेजना आसान है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि अमेरिका के साथ व्यापार करने के लिए टैरिफ का पालन करना आवश्यक है।


अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ताइवान से लेकर यूरोपीय संघ तक भारी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। 3 जुलाई को ट्रंप ने बताया कि टैरिफ की दरें 10 से 70 प्रतिशत के बीच हो सकती हैं, जिससे कई देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।


भारत पर टैरिफ का प्रभाव

एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल हाल ही में अमेरिका गया था और अब वापस लौट आया है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, ऑटो और कृषि क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बातचीत अभी भी जारी है। हालांकि, यह संभावना जताई जा रही है कि दोनों देश एक मिनी डील पर सहमत हो सकते हैं, जिसमें कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अन्य पर टैरिफ को लेकर समझौता किया जा सकता है।