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ट्रम्प का दावा: भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने अच्छे संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि यह खरीद अब नहीं होगी। इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, जिसमें विपक्ष ने मोदी पर निशाना साधा है। जानें इस मुद्दे पर और क्या प्रतिक्रियाएँ आई हैं और मोदी की विदेश नीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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ट्रम्प का दावा: भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा

व्हाइट हाउस में ट्रम्प का बयान

समाचार : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत अब रूस से तेल खरीदने का इरादा नहीं रखता। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके अच्छे मित्र हैं और दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हैं। ट्रम्प ने कहा कि उन्हें भारत के रूस से तेल खरीदने की बात सुनकर खुशी नहीं हुई, लेकिन आज मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि यह खरीद अब नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमें चीन से भी इसी तरह का कदम उठाने की आवश्यकता है।


राजनीतिक प्रतिक्रिया

ट्रम्प के इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल में हलचल बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने अगस्त 2025 में भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया था। इससे पहले भी 25% का रेसीप्रोकल टैरिफ लागू किया गया था, जिससे भारत पर कुल 50% शुल्क लग गया। हालांकि, भारत ने अभी तक रूसी तेल आयात को रोकने या कम करने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

ट्रम्प के दावे पर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि मोदी डर गए हैं और ट्रम्प को यह तय करने दे रहे हैं कि भारत को क्या करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी बार-बार ट्रम्प को बधाई संदेश भेजते हैं, जबकि निर्मला सीतारमण की अमेरिका यात्रा रद्द कर दी गई है और वे शर्म अल-शेख समिट से भी दूर रहे हैं।


कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि नरेंद्र मोदी ने देश की गरिमा को फिर से समझौता किया है। ट्रम्प की धमकियों के आगे झुकते हुए उन्होंने रूस से तेल खरीदने का आश्वासन दिया है। यह स्पष्ट है कि मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं और उनकी नीतियों ने भारत की विदेश नीति को अस्थिर कर दिया है।