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डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक 'प्रलय' मिसाइल का परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के तट से 'प्रलय' मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए हैं। इस मिसाइल की उच्च सटीकता और विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जाने की क्षमता है। जानें इस प्रणाली के विकास में शामिल प्रमुख संस्थाओं और परीक्षण की सफलता के बारे में।
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डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक 'प्रलय' मिसाइल का परीक्षण किया

प्रलय मिसाइल के सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 28 और 29 जुलाई को ओडिशा के तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 'प्रलय' मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए। इस जानकारी को रक्षा मंत्री कार्यालय ने साझा किया।


रक्षा मंत्री कार्यालय ने एक पोस्ट में बताया, "डीआरडीओ ने ओडिशा तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रलय मिसाइल के लगातार दो सफल उड़ान परीक्षण किए हैं।"


यूजर इवैल्यूएशन टेस्टिंग का उद्देश्य इस मिसाइल प्रणाली की अधिकतम और न्यूनतम मारक क्षमता का परीक्षण करना था। परीक्षण के दौरान, मिसाइल ने निर्धारित मार्ग का सटीकता से पालन किया और अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा। सभी सबसिस्टम ने अपेक्षित प्रदर्शन किया, जो इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) द्वारा तैनात विभिन्न ट्रैकिंग सेंसर और लक्ष्य क्षेत्र के पास मौजूद जहाज पर लगे उपकरणों से प्राप्त जानकारी के आधार पर था।


'प्रलय' एक स्वदेशी ठोस ईंधन आधारित क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जो अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है। इसमें उन्नत गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम शामिल है, जिससे यह उच्च सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। यह मिसाइल विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जाने की क्षमता रखती है और इसे कई प्रकार के लक्ष्यों के खिलाफ उपयोग किया जा सकता है।


यह प्रणाली हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं जैसे कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (डीआरडीएल), एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी (एएसएल), आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई) और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर विकसित की गई है।


भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और कई अन्य उद्योगों ने भी इस परियोजना में योगदान दिया है। परीक्षणों के दौरान, डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ भारतीय वायुसेना और थल सेना के अधिकारी भी मौजूद थे।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को इस सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मिसाइल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और इससे हमारी सेनाओं की ताकत में और वृद्धि होगी। डीआरडीओ प्रमुख और रक्षा अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने इसे "प्रथम चरण के सफल परीक्षण" की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि यह प्रणाली जल्द ही भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार है।