डेयरी किसानों का नॉनवेज दूध के खिलाफ ज्ञापन: भारत-अमेरिका व्यापार समझौता

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर किसानों की चिंता
जींद के सफीदों में, लगभग सौ डेयरी किसान मंगलवार को एसडीएम पुलकित मल्होत्रा से मिले और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में नॉनवेज दूध के आयात के खिलाफ ज्ञापन प्रस्तुत किया। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि ज्ञापन को केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
डेयरी फार्मर और धार पशु आहार के निदेशक नितेश ढुल ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता एक अगस्त 2025 तक पूरा हो सकता है। अमेरिका भारतीय डेयरी बाजार में प्रवेश करना चाहता है और नॉनवेज दूध और इसके उत्पादों को भारत में बेचना चाहता है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका में गायों को मांस मिलाकर चारा खिलाया जाता है, जिसमें सुअर, मछली और अन्य जानवरों का मांस शामिल होता है।
गायों को प्रोटीन के लिए मांस और खून दिया जाता है
अमेरिकी रिपोर्टों के अनुसार, गायों को प्रोटीन के लिए घोड़े और सुअर का खून भी दिया जाता है। इस प्रकार के चारे से प्राप्त दूध को नॉनवेज दूध कहा जाता है। इसके विपरीत, भारत में मवेशियों को केवल शाकाहारी चारा दिया जाता है, जिससे उनका दूध पूजा और व्रत में उपयोग होता है।
नितेश ढुल ने चेतावनी दी कि यदि यह समझौता हो जाता है, तो इससे न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी, बल्कि भारतीय डेयरी किसानों को भी आर्थिक नुकसान होगा। यदि अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते दामों पर बेचे जाते हैं, तो भारतीय किसानों की मेहनत को गंभीर क्षति पहुंचेगी।
किसानों की मांग: केंद्र सरकार से समर्थन
किसानों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह किसी भी दबाव में न आए और इस समझौते का विरोध करे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को देशवासियों की धार्मिक भावनाओं और डेयरी किसानों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। इस ज्ञापन के दौरान कई किसान उपस्थित थे, जिनमें जयभगवान जोगी, जसविंद्र सिंह, और अन्य शामिल थे।