डॉ. मोहन भागवत का स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण भाषण

स्वतंत्रता दिवस पर डॉ. भागवत का संबोधन
Mohan Bhagwat Speech: भुवनेश्वर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने तिरंगा फहराया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। यह आयोजन 'उत्कल विपन्न सहायता समिति, उड़ीसा' द्वारा किया गया था।
स्वतंत्रता का अर्थ
अपने भाषण में डॉ. भागवत ने बताया कि स्वतंत्रता का मतलब केवल राजनीतिक आजादी नहीं है, बल्कि इसमें 'स्व' और 'तंत्र' दोनों का समावेश है। उन्होंने कहा कि जब तंत्र 'स्व' के आधार पर कार्य करता है, तभी सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
“स्वतंत्रता में स्व और तंत्र है। स्व के आधार पर तंत्र चलता है तब स्वतंत्रता आती है। भारत एक वैशिष्ट्यपूर्ण देश है। वह दुनिया में सुख शांति लाने के लिए जीता है। दुनिया को धर्म देने के लिए जीता है। इसलिए हमारे राष्ट्रध्वज के केंद्र में धर्मचक्र है। ये धर्म सबको साथ लेकर, सबको… pic.twitter.com/a5W7Ll43xf
— RSS (@RSSorg) August 15, 2025
भारत की विशेषता
डॉ. भागवत ने भारत की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक अद्वितीय राष्ट्र है, जो विश्व में सुख और शांति फैलाने के लिए समर्पित है। उन्होंने बताया कि भारत का उद्देश्य केवल अपने विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व को धर्म और संस्कृति की अमूल्य धरोहर प्रदान करना भी है। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रध्वज के केंद्र में स्थित धर्मचक्र इसी विचार का प्रतीक है, जो सभी को जोड़ने और सुख देने का कार्य करता है।
'स्व' के आधार पर चलने की आवश्यकता
डॉ. भागवत ने यह भी कहा कि धर्म का उद्देश्य सभी को एकजुट करना और उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत की विशेषता यह है कि वह विश्व को धर्म देने के लिए जीता है, लेकिन इसके लिए देश के तंत्र को मजबूत करना और 'स्व' के आधार पर चलना आवश्यक है।
एकता और अखंडता का आह्वान
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने डॉ. भागवत के विचारों को ध्यान से सुना और राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी सम्मानित किया गया और देश की एकता और अखंडता बनाए रखने का आह्वान किया गया।