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डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच टेलीफोन वार्ता: अमेरिका-चीन टैरिफ संघर्ष पर नई चर्चा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में हुई टेलीफोन वार्ता ने अमेरिका-चीन टैरिफ विवाद पर नई रोशनी डाली है। ट्रंप ने शी जिनपिंग के प्रति अपनी पसंद को दोहराते हुए कहा कि उनके साथ समझौता करना कठिन है। इस वार्ता की पुष्टि चीनी मीडिया ने भी की है। जानें इस वार्ता के पीछे की कहानी और दोनों देशों के बीच टैरिफ विवाद का इतिहास।
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डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच टेलीफोन वार्ता: अमेरिका-चीन टैरिफ संघर्ष पर नई चर्चा

महत्वपूर्ण टेलीफोन वार्ता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को एक महत्वपूर्ण टेलीफोन वार्ता हुई, जो दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ विवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह बातचीत ट्रंप द्वारा हाल ही में घोषित 'लिबरेशन डे' टैरिफ के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली सीधी चर्चा थी।


ट्रंप की टिप्पणियाँ

ट्रंप ने क्या कहा?


ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इस बातचीत की पुष्टि करते हुए शी जिनपिंग के प्रति अपनी व्यक्तिगत पसंद को दोहराया। उन्होंने लिखा कि मैं हमेशा चीन के राष्ट्रपति शी को पसंद करता रहा हूं, लेकिन उनके साथ किसी समझौते तक पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।



चीनी मीडिया की पुष्टि

चीनी सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने भी इस टेलीफोन वार्ता की पुष्टि की है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह बातचीत व्हाइट हाउस के अनुरोध पर की गई थी, लेकिन इसके आगे की कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई।


टैरिफ विवाद का इतिहास

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद


अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद लंबे समय से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर रहा है। ट्रंप प्रशासन ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ दरों को बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया। इसके जवाब में, चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया।


हालांकि, मई में जिनेवा में हुई बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने एक अस्थायी समझौता किया, जिसके तहत अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ को घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया। चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 10 प्रतिशत तक सीमित किया। फिर भी, यह बातचीत विवाद को पूरी तरह सुलझाने में सफल नहीं हो पाई है और व्यापार वार्ताएं रुकी हुई हैं। दोनों देशों के बीच समझौते की प्रक्रिया अब भी अधर में है।