डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव

ट्रंप की वापसी और भारत की उम्मीदें
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटने को भारत में पहले उत्साह के साथ देखा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को विश्वास था कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। लेकिन अब, पांच महीने बाद, स्थिति में बदलाव आ गया है। अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल ने चेतावनी दी है कि ट्रंप की नीतियां भारत को अमेरिका से दूर कर सकती हैं।
भारत का विश्वास क्यों डगमगाया?
ट्रंप के पुनः राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को कई मोर्चों पर निराशा का सामना करना पड़ा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, भारत को व्यापारिक संबंधों में कुछ समस्याओं की उम्मीद थी, लेकिन ट्रंप के साथ अच्छे संबंधों से इनका समाधान होने की आशा थी। हालांकि, ट्रंप की नीतियों ने भारत को चौंका दिया है।
भारतीय छात्रों और कारोबार पर ट्रंप का सख्त रुख
अमेरिका में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। 2023-24 में 3,31,602 भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे थे, जो चीन से भी अधिक है। लेकिन 27 मई 2025 को ट्रंप प्रशासन ने छात्र वीजा के लिए नए साक्षात्कार बंद करने का निर्णय लिया, जिससे भारतीय छात्रों और उनके परिवारों में चिंता बढ़ गई।
भारत-पाकिस्तान मुद्दे पर अमेरिका की चुप्पी
हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। इस दौरान अमेरिका की प्रतिक्रिया ने भारत को और निराश किया। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, अमेरिका ने दोनों देशों को शांत रहने की सलाह दी, जो भारत को नागवार गुजरी। भारतीयों को लगता है कि अमेरिका फिर से भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौल रहा है।
भारत की गरिमा को ठेस क्यों?
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि भारत एक महाशक्ति के रूप में सम्मान चाहता है। भारतीय जनता किसी भी अपमान को लेकर बहुत संवेदनशील है। चाहे वह कश्मीर का मुद्दा हो, छात्र वीजा की बात हो, या पाकिस्तान के साथ रिश्ते की, अमेरिका के फैसलों ने भारतीय भावनाओं को चोट पहुंचाई है।
भारत के बिना अमेरिका का नुकसान
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ट्रंप को स्पष्ट चेतावनी दी है कि भारत को नजरअंदाज करना अमेरिका के लिए भारी पड़ सकता है। भारत न केवल आर्थिक रूप से तेजी से बढ़ रहा है, बल्कि यह रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। ट्रंप का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा भारत के बिना अधूरा रह जाएगा।