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डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में नॉर्थ कोरिया का असफल खुफिया मिशन

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, अमेरिका की एक नेवी सील टीम ने नॉर्थ कोरिया में एक खुफिया मिशन चलाया, जो असफल रहा। इस मिशन का उद्देश्य किम जोंग उन की संचार व्यवस्था की जासूसी करना था, लेकिन कुछ गलतफहमियों के कारण यह प्रयास विफल हो गया। इस घटना में निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिससे टीम के सदस्य डर गए और बिना किसी डिवाइस के लौट गए। जानें इस मिशन की पूरी कहानी और इसके परिणाम।
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डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में नॉर्थ कोरिया का असफल खुफिया मिशन

नॉर्थ कोरिया में खुफिया मिशन की असफलता

जानकारी के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के दौरान, अमेरिका की एक विशेष नेवी सील टीम ने 2019 में नॉर्थ कोरिया के तट पर एक गुप्त मिशन का संचालन किया। हालांकि, कुछ गलतियों और गलतफहमियों के कारण यह मिशन असफल रहा। इसका उद्देश्य था किम जोंग उन की संचार व्यवस्था की जासूसी करना, लेकिन यह प्रयास विफल रहा और इस दौरान कुछ निर्दोष नागरिकों की जान चली गई।



जानकारी के अनुसार, जनवरी 2019 की एक ठंडी रात, अमेरिकी नेवी की एक सील टीम गुप्त रूप से एक पनडुब्बी से निकलकर नॉर्थ कोरिया के एक चट्टानी तट की ओर बढ़ी। इस टीम में वे सैनिक शामिल थे जिन्होंने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। उनका लक्ष्य किम जोंग उन की जासूसी करना था, ताकि अमेरिका को परमाणु वार्ता में लाभ मिल सके। अमेरिका चाहता था कि किसी भी तरह से उत्तर कोरिया की कमजोरियों का पता लगाकर उस पर दबाव डाला जा सके।


यह मिशन इतना संवेदनशील था कि इसकी मंजूरी खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दी थी। हालांकि, नॉर्थ कोरिया की कड़ी निगरानी और कानून व्यवस्था के कारण यह मिशन असफल रहा। अमेरिकी खुफिया टीम को लगा कि तट पर कोई नहीं है, इसलिए वे गहरे पानी में नाइट विजन चश्मा पहनकर पहुंचे। अचानक, एक छोटी नॉर्थ कोरियाई नाव अंधेरे में से निकली और टीम को लगा कि वे पकड़े जा रहे हैं।


इस स्थिति में, उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए नाव पर सवार लोगों पर गोली चला दी। कुछ ही क्षणों में, नाव पर सवार तीनों लोग मारे गए। बाद में पता चला कि ये लोग आम नागरिक थे, जो सीपियाँ इकट्ठा करने निकले थे। इस घटना के बाद टीम के सदस्य डर गए और बिना किसी डिवाइस के वापस लौट गए। हालांकि, अमेरिकी सेना का कोई भी सदस्य इस घटना में घायल नहीं हुआ।